अंतरिक्ष में जाने की तैयार कर चुके देश के एक शहर में बैलगाड़ियों का काफिला देखने को मिला. लग्जरी गाड़ियां या ठाठ-बाट की बजाय बैलगाड़ियों पर सवार होकर बहन के घर पहुंचे इन भाईयों को देखकर हर कोई हैरान भी था. यह खबर है भीलवाड़ा की. जिसके पीछे वजह वजह खस्ताहाल सड़क नहीं है. बल्कि किसी और कारण से ऐसा किया गया. इसके पीछे वजह परंपरा है.
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भीलवाड़ा शहर में अपने भांजे के घर पर जाने के लिए मामा बैलगाड़ियों के काफिले से रवाना हुए. बेल गाड़ियों का यह काफिला जिस रास्ते से भी गुजरा, वहां सड़क किनारे खड़े होकर लोग इसे एक टक देखते रहे.
संस्कृति से जुड़े रहना ही मकसद
टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा के संजय कॉलोनी में रहने वाले गोपाल पारेता, उनके बेटे पवन और भाई कमलेश को बहन जमुना के घर जाना था. क्योंकि उनके भांजे की शादी थी. इसी विवाह समारोह में भात ले जाने के लिए परिवार के सभी सदस्य बैलगाड़ियों में सवार होकर अपने घर संजय कॉलोनी से नेहरू रोड स्थित माली समाज के नोहरे में पहुंचे. जहां बहन ने अपने भाइयों की अगवानी की.
इस काफिले को जिस किसी ने भी देखा, वह सड़क किनारे खड़े होकर हैरानी जाहिर करता रहा. अपने भांजे की शादी में भात ले जा रहे भाइयों का कहना है कि हमने बैल गाड़ियों को इसलिए चुना, जिससे हम हमारी जड़ों और संस्कृति से जुड़े रह सकें.
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