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लोकसभा चुनाव 2024 से जुड़े सवाल जवाब
देश में लोकसभा चुनाव 2024 के शेड्यूल का ऐलान हो गया है. 7 चरणों में होने वाले इस चुनाव में 19 अप्रैल से वोटिंग शुरू होगी और 4 जून को नतीजे जारी होंगे. इधर लोग चुनाव से जुड़े कई सवाल (Lok Sabha Election 2024 FAQ) सर्च कर रहे हैं. हम ऐसे ही सवालों के जवाब पाठकों को हम यहां दे रहे हैं.
मतदाता बनना है तो रजिस्ट्रेशन के लिए क्या करना होगा?
इसके लिए आपकी उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए. यानी 1 जनवरी 2024 को 18 साल पूरा हो गया हो तो ऑनलाइन फॉर्म 6 भरकर मतदाता बन सकते हैं. मतदान भी कर सकते हैं.
अपनी लोकसभा सीट के पोलिंग बूथ की जानकारी चाहिए तो क्या करें?
चुनाव आयोग की वेबसाइट https://hindi.eci.gov.in/ पर जाकर अपना राज्य सलेक्ट करें. उसके बाद जोन और फिर अपनी लोकसभा सीट सलेक्ट करने के बाद पोलिंग बूथ की जानकारी उपलब्ध हो जाएगी.
लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची कैसे मिलेगी?
इसके लिए सबसे पहले https://voters.eci.gov.in/Homepage पोर्टल (एनवीएसपी) को ओपन करके उससे जुड़ी जानकारी देने के बाद आपके लोकसभा क्षेत्र के नाम के साथ अन्य जानकारी उपलब्ध होगी.
क्या एक मतदाता दो अलग-अलग स्थानों से खुद को रजिस्टर कर सकता है?
ऐसा नहीं हो सकता. ये वैध तरीका नहीं है. बावजूद इसके यदि कोई व्यक्ति दो अलग-अलग स्थानों या राज्यों से खुद का रजिस्ट्रेशन कराता है तो ये अपराध की श्रेणी में आएगा. ऐसे व्यक्ति को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के तहत सजा भुगतनी पड़ेगी.
चुनाव आयोग के फॉर्म 6, 6A और 8, 8A क्या है?
इन फॉर्म के जरिए चुनाव आयोग मतदाताओं को कुछ सुविधाएं देता है, मसलन एक जनवरी 2024 तक जिसने 18 वर्ष की उम्र पूरी कर ली हो उसे फॉर्म 6 भरना होगा. वहीं भारतीय मूल के वे लोग जो दूसरे देशों में रह रहे हैं और मतदान में भाग लेना चाहते हैं उन्हें उन्हें फॉर्म 6A की सुविधा दी गई है. ऐसे मतदाता जिन्हें मतदाता पहचान पत्र पर अपना नाम, उम्र, वोटर कार्ड (EPIC) नंबर, एड्रेस, जन्मतिथि, रिश्तेदार का नाम, रिश्तों के प्रकार या लिंग में करेक्शन कराने के साथ ही फोटो में बदलाव करना हो वे फॉर्म 8 भर सकते हैं. जिन मतदाताओं का पता अपने ही लोकसभा क्षेत्र में बदल गया हो उन्हें फॉर्म 8A की सुविधा दी गई है.
अपने रजिस्ट्रेशन की स्थिति जानने के लिए क्या करना होगा?
इसके लिए आवेदक को https://electoralsearch.in/ पर जाकर मतदाता सूची देखना होगा. यदि मतदाता सूची में व्यक्ति का नाम है तो वो मतदान कर सकता है. यदि लिस्ट में नाम नहीं है तो https://www.nvsp.in/ पर जाकर फिर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. व्यक्ति मतदाता हेल्पलाइन एप के जरिए भी अपनी समस्या का समाधान पा सकता है.
मतदान के लिए आधार कार्ड का यूज कर सकते हैं?
मतदान के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है. वे लोग जिनका नाम मतदाता सूची में है वे आधार कार्ड दिखाकर मतदान कर सकते हैं.
कोई वयस्क ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराना चाहे तो क्या करे?
यदि आपकी उम्र 1 जनवरी 2024 को 18 वर्ष है तो आप ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए चुनाव पंजीकरण ऑफिसर या उप चुनाव पंजीकरण ऑफिसर से संपर्क करें. यहां से फॉर्म 6 की दो प्रतियां लेकर उसे ठीक तरीके से भरें और जरूरी दस्तावेतों के साथ जमा कर दें.
जो छात्र घर से दूर हैं वो मतदान कैसे कर सकते हैं?
जो छात्र पिछले कुछ समय से जिस हॉस्टल के पते पर रहे हैं वे 1 जनवरी 2024 को 18 वर्ष के हो चुके हैं. वे उसी लोकसभा सीट पर मतदाता के रूप में रजिस्ट्रेशन कराकर मतदान कर सकते हैं. इसके लिए वे फॉर्म 6 के साथ अपने शिक्षण संस्थान के हेडमास्टर/प्रिंसिपल/डायरेक्टर/रजिस्ट्रार/डीन से (चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध फॉर्म 6 से जुड़े एनेक्सर II के अनुसार) एक बोनाफाइड सर्टिफिकेट लेकर सबमिट करेंगे जिसके बाद वे वहीं मतदान कर सकते हैं.
यदि कोई व्यक्ति बेघर है तो वो अपना वोट कैसे दे?
ऐसा व्यक्ति जो खानाबदोश का जीवन जी रहा है और उसे मतदान में हिस्सा लेना है तो बूथ स्तर का एक अधिकारी उस बेघर शख्स के सोने की जगह को वेरिफाई करेगा. वैरिफिकेशन के बाद वो शख्स मतदाता बन सकता है.
EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है? ये कैसे काम करती है?
EVM एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो वोटों को डालने सिस्टम उसे दर्ज कर लेती है जिसे काउंटिंग के समय इस्तेमाल किया जाता है. ईवीएम को दो यूनिट से तैयार किया गया है. पहला कंट्रोल यूनिट और दूसरा बैलट यूनिट. कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास होती है. बैलेट यूनिट में मतदाता वोट डालता है. कंट्रोल यूनिट से परमिशन के बाद ही वोटर नीला बटन दबाकर वोट देता है जिसका कन्फर्मेशन VVPAT में उसे मिलता है.
EVM की डिजाइन किसने तैयारी की और सबसे पहले इसका कब इस्तेमाल हुआ?
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर चुनाव आयोग की टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी ने डिजाइन किया है. इसका सबसे पहले इस्तेमाल वर्ष 1982 में केरल में उपचुनाव में किया गया. उस वक्त इसे लेकर कोई कानून नहीं होने पर इस चुनाव को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. बाद में लंबी कोशिशों के बाद वर्ष 1998 में इसके इस्तेमाल पर सहमति बनी और मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान की विधानसभा सीटों के लिए चुनाव कराए गए.
EVM और VVPAT से वोटों की गिनती कैसे की जाती है?
EVM में दर्ज वोटों से पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है. ये वो वोट होते हैं जो घर से दूर रह रहे नौकरी-पेशा लोग, इलेक्शन में जिनकी ड्यूटी लगी हो वे वोट देते हैं. इसके बाद EVM की काउंटिंग शुरू होती है. काउंटिंग में एक बार में 14 ईवीएम लिए जाते हैं. इस दौरान तैनात पर्यवेक्षक पहले ईवीएम की सुरक्षा जांच कर इस बात की पुष्टि करते हैं कि मशीन से कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है. ईवीएम के कंट्रोल यूनिट का रिजल्ट बटन दबाते ही कुल वोटों की संख्या और प्रत्याशियों को मिले वोटों की संख्या आ जाती है. इसका मिलान VVPAT से निकले पर्चों से करके रिटर्निंग ऑफिसर को भेजा जाता है.
चुनाव के लिए EVM भरोसेमंद है?
चुनाव आयोग के मुताबिक EVM पूरी तरह सुरक्षित है. इसके साथ ही इसके नजीते बैलेट पेपर के मुकाबले ज्यादा सटीक हैं. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ने वोटों की गिनती में लगने वाले समय को बचाने का काम किया है. विशेषज्ञों की मानें तो काउंटिंग में भी हेरफेर की संभावना नहीं रहती है.
मतदान केंद्र में अचानक EVM खराब हो गई तो क्या होगा?
वोटिंग के वक्त किसी मतदान केंद्र पर कोई ईवीएम खराब हो जाए तो उसे तुरंत नई ईवीएम से बदलने की प्रक्रिया होती है. खराब हुए ईवीएम में दर्ज हो चुके वोट कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में स्टोर रहते हैं. बावजूद इसके मतदान केंद्र के अंतिम परिणाम के लिए दोनों नियंत्रण इकाइयों के वोटों का मिलान किया जाता है.
क्या पोस्टल बैलेट (Postal Ballot) का इस्तेमाल करके वोट डाल सकता हूं?
पोस्टल बैलट (Postal Ballot) यानी डाक पत्र की सुविधा सभी के लिए नहीं होती है. ये सुविधा सेना, सरकार कर्मचारी, चुनाव ड्यूटी पर अपने लोकसभा सीट से दूर रहने वालों के लिए होती है. प्रिवेंटिव डिटेंशन के रूप में हिरासत में रखे लोग भी इसका इस्तेमाल कर वोट दे सकते हैं.
NOTA क्या है और इसका इस्तेमाल कब शुरू हुआ?
ईवीएम में एक विकल्प होता है नोटा (NOTA) का. यानी 'उपरोक्त में से कोई नहीं' None of the above. इस विकल्प का इस्तेमाल कर मतदाता ये बता सकता है कि उसके निर्वाचन क्षेत्र में खड़े प्रत्याशियों में से किसी को वो लीडर के तौर पर सक्षम नहीं मानता है. सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद इस विकल्प अक्टूबर 2013 में लाया गया था. 2022 के चुनाव में बिहार में सबसे अधिक 2.48 फीसदी वोट NOTA पर गए थे. वहीं गुजरात में 1.8 फीसदी मतदाताओं ने NOTA बटन दबाया था. हाल ही में 2023 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 1.29 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था.
किसी सीट पर नोटा को मिले वोट किसी मुख्य दल के उम्मीदवार को मिले वोटों से अधिक हो गया तो क्या होगा?
चुनाव आयोग के अनुसार भले ही नोटा को मिलने वाले वोट सबसे ज्यादा हों फिर भी जिस उम्मीदवार को नोटा के बाद सबसे ज्यादा वोट मिले हों वहीं विजयी घोषित किया जाएगा.
यदि निर्वाचन अधिकारी की शिकायत करनी हो तो क्या करना होगा?
चुनाव आयोग ने निर्वाचन अधिकारी की शिकायत की भी व्यवस्था मतदाता को दी है. ऐसी कई संस्थाएं हैं, जहां निर्वाचक पंजीकरण अफसर की शिकायत की सकती है. मतदाता जिला चुनाव अधिकारी के पास कर सकते हैं पर यह व्यवस्था संशोधन की अवधि के दौरान ही उपलब्ध है. इसके बाद शिकायत जिला मजिस्ट्रेट/अपर डीएम/कार्यकारी मजिस्ट्रेट/जिले के संबंधित जिला कलेक्टर के पास जाएगी. अपीलीय प्राधिकार के आदेश के खिलाफ राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के सामने अंतिम अपील होगी.
चुनाव से जुड़ी किसी आपत्तिजनक गतिविधी की शिकायत कहां और कैसे करें?
यदि आपको चुनाव के दारान कोई गलत गतिविधि नजर आती है तो ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं. इसके लिए एनजीएसपी के पोर्टल https://eci-citizenservices.eci.nic.in/default.aspx पर शिकायत की जा सकती है. शिकायत फाइल कराने के बाद एक आईडी मिलती है जिसका इस्तेमाल https://eci-citizenservices.eci.nic.in/trackstatus.aspx पर करके शिकायत की स्थिति भी जान सकते हैं. इसके अलावा complaints@eci.gov.in पर मेल करके भी शिकायत कर सकते हैं.
एग्जिट पोल क्या है?
एग्जिट पोल के डेटा को वोटिंग के आखिरी दिन ही जारी किया जाता है. इसके लिए डेटा कलेक्शन वोटिंग के दिन किया जाता है. वोटिंग के दिन जब वोटर्स वोट डालकर बाहर आते हैं तो उनसे सवाल पूछकर नब्ज टटोली जाती है. ऐसे सर्वे से एक नतीजे पर पहुंचने की कोशिश की जाती है जिसे एग्जिट पोल कहते हैं.
पहली एग्जिट पोल कब हुआ और किसने किया?
Exit Poll का क्रेडिट नीदरलैंड्स के एक समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम को को जाता है. मार्सेल वॉन डैम ने 15 फरवरी, 1967 को पहली बार एग्जिट पाले जारी किया था. उस वक्त नीदरलैंड्स में हुए चुनाव हुए थे और उनका आंकलन भी सटीक निकला था. जहां तक भारत का सवाल है तो यहां इसकी शुरुआत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के चीफ एरिक डी कोस्टा ने किया था.
पोस्ट पोल सर्वे क्या होते हैं?
एग्जिट पोल और पोस्ट पोल सर्वे में थोड़ा फर्क होता है. हालांकि पोस्ट पोल सर्वे एग्जिट पोल से भी ज्यादा सटीक माने जाते हैं. एग्जिट पोल में सर्वे एजेंसी वोटिंग के तुरंत बाद वोटर्स का नब्ज टटोलती है. जबकि पोस्ट पोल वोटिंग के एक दो दिन बाद रिजल्ट आने से पहले किया जाता है. यदि वोटिंग कई चरण में है तो आखिरी चरण का मतदान होने के बाद ही एग्जिट पोल और पोस्ट पोल के आंकड़े जारी किए जा सकते हैं.
ओपिनियन पोल क्या है?
ओपिनियन Poll एग्जिट और पोस्ट पोल से बिल्कुल अलग होते हैं. जर्नलिस्ट, चुनावी सर्वे करने वाली एजेंसियां ओपिनियन पोल सर्वे करती हैं. इसकी मदद से पत्रकार ग्राउंड पर लोगों से बातचीत करके, मुद्दों और चुनावों में जनता के नब्ज को टटोलने की कोशिश करता है. इसकी शुरूआत सबसे पहले जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन को जाता है. उन्होंने ही इसकी शुरुआत की थी.
पोल के लिए सैंपल कैसे लिए जाते हैं?
ओपिनियन पोल के लिए फील्ड वर्क जरूरी है. इसके लिए, चुनावी सर्वे करने वाली एजेंसी के कर्मचारी किसी लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र में लोगों से मिलते हैं. उनसे चुनाव से जुड़े सवाल पूछते हैं. इन सवालों के जरिए ही उम्मीदवारों के बारे में लोगों की राय जानी जाती है. प्रक्रिया में शामिल लोगों को एक फॉर्म भी भरने के लिए दिया जाता है. यह फॉर्म उम्मीदवारों के प्रदर्शन, चुनाव के मुद्दों और मतदाताओं की प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए डिजाइन किया जाता है. मतदाताओं की पहचान गुप्त रखने और उन्हें अपनी राय स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, सीलबंद डिब्बा रखा जाता है. मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के बारे में भरा पर्चा इस डिब्बे में डाल सकते हैं. सैंपलिंग ओपिनियन पोल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका मतलब है कि किन लोगों से राय जानने की कोशिश की गई है या की जाएगी. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सैंपल समाज का प्रतिनिधित्व करता है ताकि ओपिनियन पोल के परिणाम यथासंभव सटीक हों.
आचार संहिता क्या होती है और इसे कब लागू किया जाता है?
आदर्श आचार संहिता (आचार संहिता) दिशा-निर्देशों का एक समूह है. चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रखने के लिए उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और सरकारों को इसका पालन करना होता है. यह चुनावों से पहले राजनीतिक दलों के आचरण को नियंत्रित करने के लिए 'क्या करें' और 'क्या न करें' का एक सेट है. चुनाव आयोग ज्यों ही वोटिंग की तारीखों का ऐलान करता है आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो जाती है. इसमें मुख्य रूप से वोटर्स को प्रभावित करने के लिए सरकारी सुविधाओं या मुफ्त सुविधाओं जैसे ऐलान पर रोक लगाई जाती है. चुनाव में धार्मिक और जातीय भावनाओं के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाती है. उम्मीदवार और राजनीतिक दल अपने विरोधियों के खिलाफ अपमानजनक या भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. इसके लागू हो जाने के बाद चुनाव प्रचार के लिए निर्धारित समय और स्थान का पालन करना होता है.
क्या कोई विधायक लोकसभा चुनाव लड़ सकता है? क्या कोई लीडर ये दोनों पद संभाल सकता है?
अगर कोई शख्स विधायक है, तो भी वह लोकसभा का चुनाव लड़ सकता है. हालांकि इसको लेकर कुछ नियम हैं. इसके मुताबिक लोकसभा चुनाव नतीजा घोषित होने के 14 दिनों के भीतर उन्हें राज्य विधानमंडल की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा. अगर वह चौदह दिनों के भीतर दो में से एक सदस्यता से इस्तीफा देने में विफल रहते हैं, तो संसद में उनकी सीट खाली हो जाएगी. ऐसे में साफ है कि कोई शख्स एक साथ विधायक और सांसद, दोनों नहीं रह सकता है.
2019 लोकसभा चुनाव का परिणाम क्या थाा
2019 के चुनाव में बीजेपी ने 303 सीटें जीतकर अपने दम पर बहुमत हासिल किया. भाजपा ने पांच साल पहले के अपने प्रदर्शन को और बेहतर किया. बता दें कि 2014 के चुनावों में उसने 282 सीटें जीती थीं. वहीं, एनडीए ने 2019 लोकसभा चुनाव में 353 लोकसभा सीटें जीतीं, जो 2014 की तुलना में 17 अधिक हैं.
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