जयपुर में चुनाव से पहले जाटों का शक्ति प्रदर्शन, 2024 में किसके साथ जाट समाज?

ललित यादव

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Jat Mahakumbh Rajasthan: प्रदेश की राजधानी में आज जाट महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. इस महाकुंभ में देशभर से करीब 5 लाख जाटों के जुटने की संभावना जताई जा रही है. कार्यक्रम में बीजेपी-कांग्रेस के जाट नेताओँ समेत कई बड़े नेता और अधिकारी महाकुंभ पहुंच रहे हैं. इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चल रहे हैं. चुनावों से पहले हो रहे इस जाट महाकुंभ को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

इस महाकुंभ में किसान नेता राकेश टिकैत, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, सांसद दुष्यंत सिंह, हरीश चौधरी, मंत्री हेमाराम चौधरी, मंत्री लालचंद कटारिया, मंत्री रामलाल जाट, कांग्रेसी नेता रामेश्वर डूडी, सीकर के सांसद सुमेधानन्द सरस्वती, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, हरियाणा के गायक अजय हुड्डा समेत कई नेता और मंत्री यहां पहुंचे हैं. राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील भी मंच पर मौजूद है.

राजस्थान में दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के देखते हुए इस महाकुंभ को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि राजस्थान में जनसंख्या के हिसाब से जाटों की संख्या सबसे अधिक है. ऐसे में सभी पार्टियां के जाट नेता वोटर को साधने के लिए भी इस महाकुंभ में जुट रहे हैं. कोई भी जाट नेता इस महाकुंभ में शामिल न होकर खुद को अपने समाज से अलग नहीं रखना चाहता. ऐसे में नेता पार्टी से इतर जनता की जब्ज टटोलने के लिए सामजिक और जातिगत कार्यक्रम में एक साथ खड़े हैं. वहीं हनुमान बेनीवाल ने इस महाकुंभ से दूरी रखी है.

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इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
जाट महाकुंभ में कई मुद्दे को लेकर सरकारों को मैसेज दिया जाएगा. इनमें ओबीसी आरक्षण, जातिगत जनगणना और समाज में जाटों की हिस्सेदारी सहित कई मसलों को हवा दी जाएगी. यह मुद्दे आगामी चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं.

ओबीसी आरक्षण बढ़ाने को लेकर चर्चा
राजस्थान में ओबीसी को 21 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. इसको 21 से 27 प्रतिशत करने को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही है. ओबीसी में करीब 5 हजार से ज्यादा जाति है, ऐसे में जातिगत आधार पर ओबीसी जाति को पूरा आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है. जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील भी जातिगणना की बात कह चुके हैं. ऐसे में आज इस महाकुंभ के जरिए ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने की चर्चा की जा सकती है. इससे पहले कांग्रेस के पूर्व मंत्री और पंजाब पीसीसी प्रभारी हरीश चौधरी भी आरक्षण को लेकर गहलोत सरकार को घेर चुके हैं. उन्होंने विधानसभा में भी आरक्षण को बढ़ाने की बात कही थी.

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जातिगत जनगणना का मुद्दा
चुनावी साल को देखते हुए इस महाकुंभ में जाट एकता गहलोत सरकार को भारी पड़ सकती है. लगातार ओबीसी आरक्षण को लेकर आवाज उठाई जा रही है. ऐसे में जाति के आधार पर समान प्रतिनिधित्व न मिलने से जाट नाराज है. ऐसे में जातिगत जनगणना को लेकर महाकुंभ में मुद्दों को हवा दी जा सकती है. फिलहाल बिहार को छोड़कर देश के किसी भी राज्य में ऐसा प्रावधान नहीं है. राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने जातिगत जनगणना को कहा है कि यह जरूरी है, इससे हर जाति और वर्ग को लोगों को उसके हिसाब से प्रतिनिधित्व मिलेगा और समाज में हर तबका ऊपर उठेगा. चाहे वह आरक्षण हो या राजनैतिक प्रतिनिधित्व. इन दोनों स्तर पर जातिगत आरक्षण होने से लाभ मिलेगा.

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राजस्थान में होने वाले चुनावों पर असर
राजस्थान में जाट समाज अपनी सबसे अधिक हिस्सेदारी रखता है.  राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से हर बार 10 से 15% सीटों पर जाट विधायक चुनकर आते हैं. और करीब 80 से 85 विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं. 2018 के विधानसभा चुनावों में 31 विधायक जाट समुदाय से चुने गए. जो किसी भी समाज में सबसे अधिक है.

राजस्थान की राजनीति में जाट सबसे अधिक हिस्सा रखते हैं. राजस्थान के 14 जिलों इनमें बीकानेर, बाड़मेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनू, नागौर, चितौड़गढ़, टोंक, अजमेर, सीकर, जोधपुर, भरतपुर और जयपुर समेत कुल 109 विधानसभा सीटों में से करीब 80-85 सीटों पर जाट नेताओं का दबादबा होता है. राजस्थान में अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और इस साल 16वीं विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. लेकिन एकजुटता की कमी के चलते जाट अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी की बात करता आ रहा है.

वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का हुआ गठन
महाकुंभ से 3 दिन पहले हुई कैबिनेट मीटिंग में सीएम गहलोत ने वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन कर दिया. ऐसे में जाट समुदाय की एक बड़ी मांग पूरी हो गई है. बोर्ड द्वारा जाट समाज की स्थिति, उनकी मूलभूत सुविधाएं और पिछड़ापन दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.

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