Rajasthan News: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार अपना 5वां और अंतिम बजट जारी करने की तैयारी में है. लेकिन सरकार के पिछले बजट की घोषणाएं अभी भी धरातल पर नहीं उतर पाई है. ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों को सरकार से कुछ ज्यादा उम्मीद नहीं है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि सरकार ने पिछले बजट में राज्य भर में 29 नए कृषि महाविद्यालय बनाने की घोषणा की थी. कहने को तो ये महाविद्यालय है लेकिन बाड़मेर जिला मुख्यालय पर महाविद्यालय में ना शिक्षक है और ना ही कोई व्यवस्था. यहां तक कि कई जगह कॉलेज का भवन नहीं है, क्लासरूम नहीं है, बिजली नहीं है.
दरसअल, सरकार की घोषणा के मुताबिक बाड़मेर में दो कृषि महाविद्यालय की स्वीकृति मिली थी. बाड़मेर जिला मुख्यालय और गुड़ामालानी में दो कृषि महाविद्यालय खोले भी गए. लेकिन दोनों महाविद्यालय में भवन, शिक्षक और पर्याप्त क्लासरूम जैसी कोई सुविधा नहीं है. कई बार कॉलेज के स्टूडेंट्स जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन भी कर चुके है. इसके बावजूद उनकी समस्याओं का अब तक कोई निराकरण नहीं हुआ जबकि सरकार अपना अंतिम बजट पेश करने तैयारी में है.
राजस्थान तक ने जब बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित किसान भवन में संचालित कृषि भवन का रियलिटी चेक किया तो सामने आया कि यह महाविद्यालय मात्र दो कक्षों में संचालित हो रहा है. एक कक्ष स्टॉफ रूम है तो दूसरा क्लासरूम. महाविद्यालय के 57 स्टूडेंट्स एक ही कमरे में अपनी पढ़ाई करते है. भवन में चारों तरफ गंदगी का आलम है. गंदगी से अटे बाथरूम में पानी नहीं है और यहां तक कि स्टूडेंट्स के लिए पीने को भी पानी नहीं है.
जयपुर, सीकर, नागौर समेत प्रदेशभर के स्टूडेंट्स करते हैं यहां पढ़ाई
बाड़मेर के कृषि महाविद्यालय में राज्य के कई जिलों के स्टूडेंट्स है. अव्यवस्थाओं और समस्याओं के चलते स्टूडेंट्स काफी परेशान है. स्टूडेंट्स का कहना है कि सरकार ने नवीन 29 कृषि महाविद्यालय की घोषणा तो कर दी लेकिन धरातल पर कॉलेज जैसा कुछ नहीं है. ना कॉलेज का भवन है, ना पर्याप्त क्लासरूम है, ना शिक्षक है और ना ब्लैक बोर्ड. ऐसे में स्टूडेंट्स को अपने भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गई है.
स्टूडेंट्स का कहना है कि सरकारी कॉलेज मिला तो बहुत खुशी हुई थी और सोचा था कि अपना भविष्य संवारने का मौका मिल गया. लेकिन जब बाड़मेर पहुंचे और कॉलेज शुरू हुआ तो सारे सपने धरे के धरे रह गए. स्टूडेंट्स के मुताबिक कॉलेज में लैब तो छोड़ो, क्लासरूम तक नहीं है. 10 शिक्षक की पोस्ट है लेकिन केवल दो शिक्षक है. 1 माह में सेमेस्टर का एग्जाम है लेकिन बिना शिक्षकों के पढ़ाई कैसे होगी?
सेल्फ स्टडी पर निर्भर हैं स्टूडेंट्स
शिक्षक राजेंद्रसिंह ने बताया कि विद्या संबल योजना के तहत सरकार ने 5 शिक्षकों की स्वीकृति जारी की थी. लेकिन किसी शिक्षक ने यहां ज्वाइन नहीं किया है. दो टीचर अपने -अपने सब्जेक्ट स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे है. इसके अलावा वे क्या कर सकते है. राजेंद्रसिंह के मुताबिक, स्टूडेंट्स को प्रत्येक सब्जेक्ट के प्रेक्टिकल और थ्योरी का पैटर्न पेपर उपलब्ध करवा दिया गया है. शिक्षक नहीं है इसलिए स्टूडेंट्स सेल्फ स्टडी पर ही पूरी तरह निर्भर है.
ना कंप्यूटर ऑपरेटर, ना क्लर्क और ना ही लेबोरेट्री
कॉलेज के इस भवन में बिजली तक नहीं है. स्टाफ रूम में पंखा तक नहीं है. ना कंप्यूटर ऑपरेटर है ना क्लर्क और ना लेबोरेट्री. स्टूडेंट्स के भविष्य को लेकर डेपुटेशन पर लगे दो शिक्षक स्वयं परेशान है. वहीं दूसरी तरफ दूर दराज के जिलों से आए स्टूडेंट्स भी अपनी पढ़ाई और आने वाले एग्जाम को लेकर परेशान हैं. कई बार स्टूडेंट्स ने महाविद्यालय भवन निर्माण और शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन भी किया. लेकिन ना प्रशासन के कानो जूं रेंगी और ना ही सरकार के. ऐसे में कई जिलों के स्टूडेंट्स का भविष्य दांव पर है.
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