जिस विवादित Tiger की रिहाई के लिए विदेशों तक छिड़ी बहस, उसने सलाखों के पीछे ली आखिरी सांस, जानें

विशाल शर्मा

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राजस्थान के रणथंभौर के जंगल में उस्ताद उर्फ T-24 जिसकी बेखौफ चाल और स्वछंद अंदाज के पर्यावरण प्रेमी मुरीद थे. पर्यटन से जुड़े लोगों ने सैलानियों को उसे दिखाकर खूब पैसे बटोरे. उसके किस्से कहानियों से रोजी रोटी को पंख लगे. जिस कदर उसकी साइटिंग और मिजाज था उनसे कई एक्सपर्ट भी बने.

एक दिन उसे नरभक्षी नाम देकर जेल में डाल दिया गया. उस विश्व विख्यात राजस्थान के चर्चित टाइगर उस्ताद उर्फ T-24 ने अब दुनिया को अलविदा कह दिया है. पिछले कई वर्षो से बोन कैंसर से जंग लड़ रहे इस टाइगर ने बुधवार को आखिरी सांस ली.

दरअसल जो राजा की तरह जीता था और प्रकृति ने उसको उसी तरह मरने का हक दिया था, लेकिन उसे एक पिंजरे में आन पड़ा. उसने वहीं दम तोड़ दिया. दुनिया की वास्तविक पहचान रखने वाला उस्ताद जिसका हर कोई दीवाना था, लेकिन आदमखोर का तमगा मिलने के बाद उसे जेल में डाल दिया गया. उसको रिहा करने के लिए देश-दुनिया में प्रदर्शन भी हुए, लेकिन रिहाई की उम्मीद करते-करते वो अलविदा कह गया.

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इसलिए आदमखोर कहा गया
आपको बता दें कि रणथंभौर में उस्ताद के हमले में चार लोगों की मौत हो गई थी. उसके बाद उसे आदमखोर मानकर उदयपुर बायोलॉजिकल पार्क में कैद कर दिया गया. वहां जाने के बाद भी उस्ताद लंबे समय तक खुंख्वार बना रहा. लेकिन बीमारी बढ़ने के साथ उसका गुस्सा कम होता गया.

दुनिया भर के टाइगर प्रेमी उस्ताद के पक्ष में खड़े हुए
इसके बाद पहली बार देखने को मिला कि दुनिया भर में टाइगर प्रेमी एकजुट हुए और उस्ताद उर्फ T-24 की रिहाई की आवाज उठी. देशभर में कई जगह प्रदर्शन और बाघ की आजादी की मांग उठी. विदेशों में भी उसके दीवानों के दुख की खबरें चर्चित रहीं. इसके बाद केंद्र सरकार का दबाव बढ़ा तो राजस्थान सरकार ने रिहाई के स्वांग रचे. फिर कमेटियां बनाईं, लेकिन जिन्होंने जेल का फैसला किया था वो रिहाई पर कैसे राजी होते और फिर यही घुटन उस्ताद की तकदीर बना दी गई.

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उदयपुर के बॉयोलॉजिकल गार्डन में टाइगर टी-24 को कैद में ही जिंदगी गुजारनी पड़ी. बोन कैंसर की वजह से पिछले कई दिनों से उस्ताद को चलने और खड़ा होने में भी दिक्कत आ रही थीं. उसके इलाज के लिए जयपुर से मेडिकल टीम को भी भेजा गया. इलाज के लिए उसे कई बार ट्रेंकुलाइज कर बेहोश भी किया गया, लेकिन बुधवार को टाइगर उस्ताद-24 महज 18 साल की उम्र में वन्यजीव प्रेमियों को गमगीन करते हुए दम तोड़ दिया. जिसके बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया जहां वन्यजीव प्रेमी फफक-फफक कर रो पड़े. यह उस्ताद-24 ही था जिसने राजस्थान में वाइल्ड लाइफ को नई संजीवनी दी थी. जिसके दीदार के लिए देश-दुनिया से पर्यटक आते थे.

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