फतेहपुर: ग्रहण के सूतक काल में भी खुलता है देश का ये इकलौता मंदिर, होती है पूजा जुटते हैं श्रद्धालु

बृजेश उपाध्याय

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Fatehpur Shekhawati news: चंद्रग्रहण की वजह से जहां पूरे देश के मन्दिरों के कपाट बंद हैं, पूजा-पाठ नहीं हो रहा है वहीं फतेहपुर-शेखावाटी में स्थित श्री लक्ष्मीनाथ महाराज का कपाट खुला है. यहां श्रद्धालु भी जुट रहे हैं और पूजा-पाठ भी हो रहा है. ये ऐसा इकलौता मंदिर है जो ग्रहण के सूतक काल में भी खुला रहता है.

सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण में पूरे भारत में ग्रहण के सूतक काल में सभी मन्दिर के पट्ट बंद रहते है. ग्रहण काल शुरू होने के 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. जिसमें पूजा-अर्चना व शुभ कार्य करना वर्जित होता है, लेकिन फतेहपुर के नगर सेठ श्री लक्ष्मीनाथ भगवान का सूतक काल मे भी पूजा-अर्चना होती है.

सूतककाल में मंदिर खुलने की ये है वजह
लक्ष्मीनाथ मन्दिर के पुजारी परमेश्वर भोजक ने बताया कि वर्षों पहले चंद्रगहण था. मंदिर पचायती के फैसले पर सूतक के कारण पट्ट बंद थे. पुजारी ने भगवान लक्ष्मीनाथ जी को भोग नहीं लगाया. जिसके बाद रात्रि के समय लक्ष्मीनाथ जी मंदिर के सामने हलवाई की दुकान पर लक्ष्मीनाथ जी महाराज बालक का रूप धारण कर आए और कहा कि यहां तो प्रसाद मिला नहीं. मुझें भूख लग रही है. आप पैजनी रखलों और बदले में प्रसाद दे दो.

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हलवाई ने पैजनी रखकर दिया प्रसाद
जिसके बाद हलवाई ने पैजनी रख प्रसाद दिया. जब सुबह मन्दिर के पुजारियों ने देखा कि भगवान की पैजनी गायब है. बात मंदिर के पंचों व बाजार तक गई. जब हलवाई ने बताया कि रात को मेरे पास एक बालक पैजनी लेकर आया और बदले में प्रसाद ले गया. उसके बाद से ही मंदिर मे सूतक काल में भोग व आरती होती है. केवल ग्रहण के समय मंदिर के पट्ट बंद रहते हैं. कार्तिक में तो सुबह चार बजे से ही लोग मंदिर के बाहर एकत्रित होना शुरू कर देते हैं, ताकि 5:30 बजे की आरती देख सकें.

इस समय कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओं व पुरुषों से मंदिर भरा रहता है. विशाल मंदिर में तिल रखने की जगह नहीं होती है. श्रावण, भादवा व कार्तिक मास में भगवान का और भी विशेष शृंगार होता है. इस मंदिर में रात्रि में भगवान शयन के बाद कोई भी महिला यहां तक कि छोटी सी बच्ची भी नहीं रह सकती. चाहे वह पुजारी के परिवार की ही क्यों न हो.

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कार्तिक माह में दोनों समय 108 बत्तियों की होती है आरती
कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार को शहर में चंद्रमा ग्रहणकाल में ही उदित होंगे. यह साल 2022 का आखिरी ग्रहण है. मंगलवार शाम 5:39 बजे उदय के समय ग्रहण लगा चंद्रमा ही नजर आएगा. शाम 6.20 बजे चंद्र ग्रहण समाप्त होगा. ऐसे में सीकर में चंद्र ग्रहण 41 मिनट का रहेगा. खंडग्रास चंद्रग्रहण का सूतक मंगलवार सुबह 5.48 बजे प्रारंभ हो गया है. शेखावाटी के प्रसिद्ध मन्दिर खाटूश्यामजी व सालासर बालाजी मंदिर के पट बंद हैं.

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ग्रहण का असर- बढ़ सकती है नेताओं की खींचतान
ज्योतिषशास्त्र की मानें तो चंद्रग्रहण की वजह से अगले सप्ताह बारिश के योग बनेंगे. इससे मौसम बिगड़ सकता है और नवंबर के दूसरे सप्ताह से ही सर्दी बढ़ने लग जाएगी. कई जगहों पर पाला भी गिर सकता है. लूटपाट चोरी व अग्निकांड की घटनाएं और राजनेताओं में खींचतान बढ़ सकती है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक साल का आखिरी चंद्रग्रहण खग्रास व खंडग्रास दोनों ही रहने वाला है. चंद्रमा पर 50 प्रतिशत ग्रहण की छाया दिखाई देगी. यहां जो चंद्रमा उदित होगा वह ग्रस्तोदय चंद्रमा नजर आएगा. यानी ग्रहण लगा हुआ ही चंद्रमा उदित होगा. ग्रहस्तोदय चंद्र ग्रहण 31 जनवरी 2018 को हुआ था. यानी 58 महीने बाद अब यह चंद्रग्रहण होने जा रहा है.

दानपुण्य करने से कम होते हैं कुंडली के दोष
ग्रहण के समय चंद्र-राहु का सूर्य-बुध-शुक्र-केतु से सम-सप्तक योग बनेगा. तुला राशि पर चार ग्रह एक साथ रहेंगे. चंद्रग्रहण भरणी नक्षत्र और मेष राशि के क्रम में घटित होगा. चंद्रग्रहण के समय दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दौरान दान करने से कुंडली के कई दोषों का असर कम हो सकता है.

इसलिए काला दिखता है चांद
चंद्रग्रहण में सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है. इस दौरान चांद धरती की छाया से छिप जाता है. पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे की सीध में होते हैं. जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह काला नजर आता है.

कंटेंट: राकेश गुर्जर 

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