CM गहलोत के समर्थन में उतरीं 26 वीरांगनाएं उनसे मिलीं, बोलीं- धरना दे रही वीरांगनाओं की मांग गलत

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Rajasthan News: रिश्तेदार को नौकरी देने की मांग पर अब वीरांगनाएं आमने-सामने आ गई हैं. करीब 26 शहीदों की वीरांगनाओं ने शनिवार को सीएम गहलोत से मुलाकात कर सरकार के पक्ष का समर्थन किया है. हालांकि सीएम गहलोत ने उन वीरांगनाओं से अभी तक मुलाकात नहीं की है जो 28 फरवरी से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठी हैं. सीएम गहलोत से मिली वीरांगनाओं का कहना है कि घरने पर बैठी वीरांगनाओं की मांगें गलत हैं. उनका कहना है कि कोई देवर साथ नहीं देता है अगर उसको नौकरी मिलेगी तो हमारे बच्चों का क्या होगा.

शहीद रमेश कुमार डागर की वीरांगना कुसुम ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि मैं भी एक वीरांगना हूं और वीरांगना के दर्द को समझती हूं. धरने पर बैठी वीरांगनाओं ने जो भी मुद्दे उठाए हैं वो बहुत ही वाहियात हैं और किसी को भी इस चीज को नहीं मानना चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि वीरांगनाओं के साथ पुलिस का दुर्व्यवहार गलत है. उन्होंने कहा कि हम कोई विशेष मुद्दा लेकर यहां नहीं आए हैं लेकिन एक वीरांगना की जिद की वजह से हम वीरांगनाओं का भविष्य बहुत खराब होने वाला है.

वीरांगना कुसुम ने आगे बताया कि हम कुल 26-27 वीरांगनाएं हैं और हम सब ने एक-दूसरे को कॉन्टैक्ट किया. हमने सीएम से कोई टाइम नहीं मांगा. हम लोग डायरेक्ट यहां आए हैं और यहीं गेट पर आकर हमने उनसे परमिशन ली है. एक अन्य वीरांगना ने कहा कि अगर देवर को नौकरी दे दी तो हमारे बच्चों का क्या होगा.

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गौरतलब है कि 28 फरवरी से धरने पर बैठी वीरांगनाओं को हिरासत में लेकर पुलिस ने रातोंरात धरना खत्म करवा दिया था. इससे पहले भी सीएम आवास की तरफ कूच कर रही वीरांगनाओं के साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया था. इसके बाद वीरांगनाओं ने अपनी पीड़ा बताते हुए मुंह में घास दबाए मुख्यमंत्री से मुलाकात की विनती की थी लेकिन उन्होंने अब तक उनसे कोई मुलाकात नहीं की है.

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धरने पर बैठी वीरांगनाओं की ये हैं मांगें
दरअसल, 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 3 जवानों की वीरांगनाएं बीते 28 फरवरी से प्रदर्शन कर रही हैं. वह नियमों में बदलाव की मांग करते हुए कुछ दिनों से सीएम गहलोत से मुलाकात का समय मांग रही थीं. उनकी मांग है कि न सिर्फ उनके बच्चों बल्कि उनके रिश्तेदारों को भी अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी मिल सके. उनकी अन्य मांगों में शहीद के नाम पर सड़कों का निर्माण और उनके गांवों में शहीदों की प्रतिमाएं लगाना भी शामिल है.

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बात सुनने में ईगो सामने नहीं लाना चाहिए- पायलट
मानना न मामना बाद की बात है, लेकिन बात को सुनने में किसी को ईगो सामने नहीं लाना चाहिए. मेरे घर ये अचानक आ गईं. मैंने उनकी बात सुनी. महिला हैं भावुक हैं उनकी मानसिक स्थिति क्या होगी, क्या उनपर बीती होगी. बड़ी संवेदनशीलता से उनकी बातों को सुना जाना चाहिए था. जो पॉसिबिल है बताना चाहिए था. अगर नहीं भी करना है तो उनको बैठकर समझाते या समझाने का काम किया गया होता तो बेहतर तरीके से मामले को निपटाया जा सकता था.

वीरांगनाओं के पक्ष में आए पायलट! सरकार से कहा- मांगों को संवेदनशीलता से बैठकर सुनना चाहिए

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