अशोक गहलोत UP के अमेठी सीट पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को रोकने के लिए बिछाने जा रहे जाल

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फोटो कोलाज: स्मृति ईरानी (इंडिया टुडे), अशोक गहलोत (गहलोत के ट्विटर से.)
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Rajasthan में दो चरणों में सभी 25 सीटों पर मतदान होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot in Amethi lok sabha seat) को यूपी में अमेठी लोकसभा सीट (amethi lok sabha) की कमान सौंपी गई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अशोक गहलोत को अमेठी सीट पर सीनियर ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया है. इस सीट पर बीजेपी की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी (smriti irani) और कांग्रेस पार्टी के किशोरी लाल शर्मा (Kishori lal sharma) उम्मीदवार हैं. 

पूर्व सीएम अशोक गहलोत (Ashok gehlot Vs Smriti irani) को इस सीट पर स्मृति ईरानी को रोकने और किशोरी लाल शर्मा को जीत दिलाने की जिम्मेदारी दी गई है. किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाने से पहले ये चर्चा जोरों पर थी कि इस सीट से राहुल गांधी स्मृति ईरानी को टक्कर देंगे. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने किशोरी लाल को यहां मौका दिया है. अब सवाल ये है कि क्या गांधी परिवार के करीबी केएल शर्मा अमेठी सीट पर 2019 की हार का बदला ले पाएंगे. 

नामांकन में पहुंचे अशोक गहलोत

रायबरेली और अमेठी दोनों सीट पर 3 मई को नामांकन में राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी पहुंचे. वहां गांधी परिवार के साथ वे डटे रहे. इस मौेके की तस्वीर को सोशल मीडिया X पर साझा करते हुए अशोक गहलोत ने लिखा- "आज रायबरेली एवं अमेठी में श्री राहुल गांधी एवं श्री के एल शर्मा के नामांकन के अवसर पर आम जनता एवं कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल देखने का मौका मिला। रायबरेली और अमेठी से गांधी परिवार का दशकों पुराना भावनात्मक रिश्ता है। रायबरेली में श्री राहुल गांधी की उम्मीदवारी ने कांग्रेस में नए जोश का संचार किया है। अमेठी में श्री के एल शर्मा के रूप में एक कार्यकर्ता को टिकट दिया गया है। करीब 40 साल से श्री के एल शर्मा अमेठी एवं रायबरेली की जनता के बीच काम कर रहे थे। उनको मौका मिलने से सभी कार्यकर्ताओं में जोश आ गया है। अमेठी में 5 साल से भाजपा सांसद की गैरमौजूदगी के कारण वहां की जनता भी गांधी परिवार एवं श्री के एल शर्मा के काम को याद करने लग गई थी। मैंने दोनों जगहों पर जनता के बीच महसूस किया कि अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों पर कांग्रेस भारी मतों से विजयी होगी।"

राहुल गांधी ने मां की सीट पर भरा नामांकन

अमेठी सीट को 63 वर्षीय केएल शर्मा के हवाले कर राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी (Sonia gandhi) की सीट रायबरेली (rai bareilly) से नामांकन किया है. इस सीट पर बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है. यहां कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल (Bhupesh baghel) को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है. बघेल यहां राहुल गांधी को जीत दिलाने में मदद करेंगे और दिनेश प्रताप सिंह को रोकने के लिए जाल बिछाएंगे. 

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गांधी परिवार की परंपरागत सीट है अमेठी

अमेठी गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती रही है. वर्ष 2019 से पहले तक केवल दो बार ये सीट कांग्रेस पार्टी के खाते में नहीं आ पाई थी. साल 1967 में अस्तित्व में आई अमेठी लोकसभा सीट पर पहली बार कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी ने खाता खोला था. फिर यहां कांग्रेस पार्टी की जीत का सिलसिला शुरू हो गया. आपात काल के बाद 1977 में जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह ने जीत हासिल की थी. दूसरी बार वर्ष 1998 में गैर कांग्रेसी यानी बीजेपी के संजय सिंह ने चुनाव जीता था. संजय सिंह पहले कांग्रेसी थे जो पार्टी छोड़कर बीजेपी में आए थे. तीसरी बार वर्ष 2019 में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने मोदी लहर में सांसद राहुल गांधी को हरा दिया था. तब राहुल गांधी ने केरल के वायनाड से भी नामांकन किया था और वे वहां से सांसद बने थे. 

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गांधी परिवार से पहली बार संजय गांधी लड़े

इस सीट पर गांधी परिवार से पहली बार संजय गांधी (Sanjay gandhi) वर्ष 1977 में चुनाव लड़े. ये चुनाव आपात काल के तुरंत बाद हुए और इसमें जानता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह जीत गए. फिर 1980 में चुनाव हुए और इस बार संजय गांधी फिर अमेठी सीट से लड़े और रविंद्र प्रताप सिंह को सवा लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हरा दिया. 

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अमेठी बनी गांधी परिवार में फूट की वजह

कहते हैं गांधी परिवार में फूट की वजह भी अमेठी लोकसभा सीट थी. दरअसल 1980 में संजय गांधी के जीतने के कुछ महीने में उनकी विमान हादसे में मौत हो गई. फिर इस सीट पर उपचुनाव हुआ. संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी चाहती थीं कि वो इस सीट से लड़ें, लेकिन इंदिरा गांधी (indira gandhi) ने अपने छोटे बेटे राजीव गांधी (Rajeev gandhi) को मैदान में उतार दिया. राजीव गांधी जीत गए.

इधर इंदिरा गांधी के इस फैसले से दुखी मेनका गांधी (menka gandhi) ने संजय विचार मंच (Sanjay vichar manch) नाम से अलग पार्टी बना ली. बस यहीं से इस परिवार में फूट शुरू हुई. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए आम चुनाव में राजीव फिर अमेठी से उतरे. इस बार मेनका ने संजय विचार मंच की तरफ से राजीव के खिलाफ पर्चा भर दिया. चुनावी मैदान में गांधी बनाम गांधी परिवार हो गया. हालांकि बड़े भारी अंतर से राजीव गांधी चुनाव जीत गए और मेनका का करारी हार मिली. परिवार में ये खाई बढ़ती चली गई जो आज तक नहीं पट पाई. 

मोदी की गारंटी का गहलोत दे रहे जवाब

जालौर में बेटे वैभव गहलोत के लिए सपरिवार एड़ी-चोटी का जोर लगा चुके अशोक गहलोत अब गांधी परिवार की परंपरागत सीट को वापस दिलाने अमेठी जा रहे हैं. अपनी तमाम योजनाओं के बल पर राजस्थान विधानसभा में जीत का दावा करने वाले अशोक गहलोत की कांग्रेस पार्टी 70 सीटों पर सिमट कर रह गई. हालांकि राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत अब अमेठी में क्या कैसा जादू दिखाते हैं ये देखने वाली बात होगी. मंच पर एक दूसरे को मित्र बताने वाले पीएम मोदी के आरोपों का गहलोत बड़ी मुखरता से जवाब दे रहे हैं. हाल ही में पीएम मोदी की गारंटी के जवाब में अशोक गहलोत ने बीजेपी के सत्ता में न आने की गारंटी दी है.

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