होली पर केमिकल वाले रंग बढ़ाते हैं मुसीबत, प्रशासन को पसंद आया खैरथल की महिलाओं का ये खास फॉर्मूला

Himanshu Sharma

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होली पर गुलाल की काफी डिमांड रहती है. लेकिन होली (Holi) पर बाजार में बिकने वाले ऐसे केमिकल वाली गुलाल से साइड इफेक्ट की भी आशंका रहती है. इसे देखते हुए अलवर (Alwar) के खैरथल में खास प्रयास किए जाते हैं. यहां स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से ऑर्गेनिक अबीर (गुलाल) तैयार करवाई गई, जिसे लोग खासा पसंद भी कर रहे हैं.

खास बात यह है कि इस हर्बल गुलाल के उत्पादन से महिलाएं भी सशक्त बन रही है. इस आर्गनिक गुलाल में लाल, हरा, पीला, गुलाबी, नीला कलर में फूड कलर उपयोग में लिया जाता है. जिसके माध्यम से बनाया जा रहा है. जो कि हर्बल होने के साथ-साथ आयुर्वेदिक भी हैं. इससे चेहरे पर किसी भी प्रकार की एलर्जी या साइड इफेक्ट्स नहीं पड़ते है.

स्वयं सहायता समूह में फरीदा, नफीसा, सलमा, कुसुम, रीना, रजनी, कंचन, सुनीता, सपना, दिव्या, द्रोपती सहित अनेक महिलाएं इसे तैयार कर रहे हैं. इसके साथ नगर परिषद प्रशासन भी हर्बल गुलाल तैयार कर रही महिलाओं के सहयोग में जुटा हुआ हैं. जिसकी पैकिंग 100 ग्राम, 500 ग्राम व एक किलो ग्राम तक की रखी गई है. महिला समूह के आर्थिक संबल प्रदान करने के तहत आर्गनिक गुलाल की रेट 150 रुपए किलो रखी गई है.

 

 

जिला कलेक्टर ने की पहल

खैरथल में होली के पर्व पर आमजन को केमिकल युक्त रंगों से बचाने और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला कलेक्टर डॉ. अर्तिका शुक्ला ने एक सार्थक पहल की है. इस पहल की हर जगह प्रशंसा हो रही है. गुलाल में मक्के का आटा, इत्र, गेंदे व गुलाब के फूल, चुकंदर, पालक, फूड कलर, अरारोट सहित अन्य सामान से बनाया जा रहा है. शहर के प्राइवेट स्कूलों के संचालकों में भी विद्यार्थियों को हर्बल-गुलाल से होली खेलने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.  

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