एमपी में कूनो के बाद अब राजस्थान में भी चीता लाने की हो गई तैयारी! सामने आई ये बड़ी खबर

राजस्थान तक

07 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 7 2024 1:52 PM)

मध्य प्रदेश के कूनो में बसाए गए चीतों में से 3 की मौत होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी राजस्थान में चीतों को छोड़ने को लेकर केंद्र को विचार करने को कहा था. जिसके बाद विशेषज्ञों की ओर से यह भी दावा किया जा चुका है कि चीतों के लिए मुकुंदरा एमपी के कूनो से बेहतर हैबिटेट था.

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Mukundara tiger reserve: राजस्थान के मुकुंदरा और शाहगढ़ में चीता लाने की तैयारी चल रही है. इसे लेकर राजस्थान के वन और पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने आज केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात भी की. इस दौरान सरिस्का में नाहर सती माता सिलीबेरी से पांडुपोल हनुमान मंदिर तक रोपवे को लेकर चर्चा भी हुई है. वन मंत्री ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर काम शीघ्र शुरू कराने के लिए आग्रह किया. ऐसे में इस मुलाकात के बाद अब राजस्थान की उम्मीद एक बार फिर जग गई है.

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बता दें कि मध्य प्रदेश के कूनो में बसाए गए चीतों में से 3 की मौत होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी राजस्थान (rajasthan news) में चीतों को छोड़ने को लेकर केंद्र को विचार करने को कहा था. जिसके बाद विशेषज्ञों की ओर से यह भी दावा किया जा चुका है कि चीतों के लिए मुकुंदरा (mukundara hills) एमपी के कूनो से बेहतर हैबिटेट था.

जानकारी के मुताबिक देश में चीता रिइंट्रोडक्शन की जब बात हो रही थी, तब साउथ अफ्रीका और नामीबिया के एक्सपर्ट भारत आए थे. उन्होंने सभी संभावित क्षेत्रों का दौरा किया था, जिसमें मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व भी शामिल था. इस पूरे दौरे के बाद उन्होंने यहां के एंक्लोजर को चीता के लिए बेहतरीन हैबिटेट बताया था. साथ ही उन्होंने यहां के प्राकृतिक क्षेत्र और अफ्रीका के लैंडस्केप में समानता होने का दावा किया था.

तस्वीरः राजस्थान तक

प्रदेश में पर्यटन को लेकर भी हुई चर्चा

नई दिल्ली के पर्यावरण भवन में हुई इस मुलाकात के दौरान वन मंत्री शर्मा ने केन्द्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि सरिस्का में नाहर सती माता सिलीबेरो से पांडुपोल हनुमान मंदिर तक रोपवे बनने और दीवारों के साथ 9 किलोमीटर तक का रास्ता बनने से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होने के साथ ही उनका आवागमन सुगम हो जाएगा. मुलाकात के दौरान केंद्रीय मंत्री ने शर्मा के आग्रह पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के निदेशक, वन विभाग के महानिदेशक और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के प्रमुख एस.पी.यादव से वार्ता कर उचित कार्यवाही करने के निर्देश प्रदान किए.

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