Lok Sabha Election: 26 साल के नौजवान ने बढ़ाई टेंशन! जानिए कौन है रविंद्र सिंह भाटी?

Dinesh Bohra

11 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 11 2024 6:49 PM)

26 साल का नौजवान रविंद्र सिंह भाटी इन दिनों चर्चा में हैं. जिसके चलते बाड़मेर - जैसलमेर लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक हो चला है. हम आपको बता रहे हैं उसी प्रत्याशी के बारे में कि आखिर कौन हैं भाटी?

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26 साल का नौजवान रविंद्र सिंह भाटी इन दिनों चर्चा में हैं. पश्चिमी राजस्थान (rajasthan news) के भारत- पाक बॉर्डर से सटे बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा से आने वाले निर्दलीय विधायक ने लोकसभा चुनाव में ताल ठोंक दी है. जिसके चलते बाड़मेर - जैसलमेर लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक हो चला है. भाटी भले ही निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें देखने और सुनने के लिए भारी जनसैलाब सड़कों पर उमड़ रहा है. इसी स्टोरी में हम आपको बता रहे हैं उसी प्रत्याशी के बारे में कि आखिर कौन हैं भाटी? जो विधायक बनने के बाद अब लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.  

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भाटी का राजस्थान के बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा के छोटे से गांव दूधोड़ा से हैं. बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाला रविंद्र सिंह भाटी टीचर का बेटा है. जिसके परिवार का राजनीति में दूर तलख तक कोई नाता नहीं रहा. पहले गांव की सरकारी स्कूल और फिर बाड़मेर शहर में स्कूली शिक्षा के बाद भाटी कॉलेजी शिक्षा के लिए पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े विश्वविद्यालय जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी पहुंचे.

 

 

एबीवीपी के सदस्य रह चुके हैं भाटी 

जहां उन्होंने छात्र राजनीति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को कार्यकर्ता के रूप में अपने 3 साल दिए. इस दौरान भाटी ने ग्रेजुएशन के साथ वकालत भी की. साल 2019 में भाटी ने छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में एबीवीपी से टिकट की दावेदारी रखी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बगावत कर ली और निर्दलीय चुनाव लड़ा. चुनाव जीतने के साथ ही यूनिवर्सिटी के 57 साल के इतिहास में पहली बार निर्दलीय अध्यक्ष चुने गए. कई बार भाटी को छात्रों के लिए लड़ते हुए जेल भी गए और युवाओं की स्टूडेंट्स की मांगों के लिए विधानसभा का घेराव भी किया. 

दोस्त अरविंद सिंह ने चुनाव हराया, तब भी चर्चा में आए भाटी

इस चुनाव के बाद उन्होंने अपनी ताकत साल 2022 में भी दिखाई थी. जब छात्रसंघ चुनाव के दौरान भाटी के दोस्त अरविंद सिंह भाटी को एनएसयूआई ने टिकट नहीं दिया. इस दौरान अरविंद सिंह भाटी ने SFI से चुनाव लड़ा, NSUI और एबीवीपी को बुरी तरीके से हराकर अरविंद सिंह भाटी ही नहीं, बल्कि रविंद्र सिंह भाटी भी चर्चा में आ गए. इसी के बाद से भाटी की रुचि राजनीति में बढ़ती गई. जिसके बाद उन्होंने साल 2023 के विधानसभा चुनवा से पहले बीजेपी ज्वॉइन कर ली. लेकिन जब शिव विधानसभा से टिकट नहीं मिला तो महज 7 दिन में ही बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा.  

इस चुनाव में उनके सामने बीजेपी के जिला अध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा, कांग्रेस से के बागी जिलाध्यक्ष फतेह खान, पूर्व विधायक जालमसिंह रावत समेत कई प्रत्याशी मैदान में थे. जिसके चलते भाटी करीब 4000 वोटों के अंतर से चुनाव जीत गए. इस दौरान बीजेपी के स्वरूपसिंह खारा की तो जमानत तक जब्त हो गई. 

दो हैडपंप के लेटर ने बिगाड़ा खेल!

लोकसभा की तारीखों का जब ऐलान हुआ तो भाटी बाड़मेर- जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र के लोगों का मन और समस्याएं जानने के लिए अपनी जन आशीर्वाद यात्रा शुरू कर देते हैं. जैसलमेर में उनके लिए हर कहीं उमड़ते हुजूम ने बीजेपी को परेशान करके रख दिया. ये देखकर बीजेपी को लोकसभा चुनाव में नुकसान की चिंता सताने लगी. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भाटी को जयपुर बुलाकर मनाने की कोशिश भी की. कहा जाता है कि भाटी और मुख्यमंत्री के सहमति बन गई थी. रविंद्र भाटी बीजेपी के एक कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे. इसी दौरान पीएचईडी का हैडपंप स्वीकृति का लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है. जिसमें शिव विधानसभा से हारे हुए बीजेपी के प्रत्याशी स्वरूपसिंह खारा की डिजायर पर 20 हैडपंप और निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी की डिजायर पर महज 2 हैडपंप. यही बात भाटी को अखरने लगी और भाटी ने 26 मार्च को सर्वसमाज की बैठक बुलाई. जिसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. 

सोशल मीडिया पर बड़ी फैन फॉलोइंग

रविंद्रसिंह भाटी के सोशल मीडिया हैंडलर्स पर लाखों की तादाद में फॉलोवर्स है. सोशल मीडिया पर भाटी का क्रेज राजस्थान ही नहीं, पूरे देश में इस कदर बढ़ रहा है कि इस महीने में एक सप्ताह में इंस्टाग्राम पर भाटी के 7 लाख फॉलोवर्स बढ़ गए हैं. वर्तमान में भाटी के इंस्टाग्राम पर 22 लाख, फेसबुक पर करीबन 10 लाख और ट्विटर पर ढाई लाख से ज्यादा फॉलोवर्स है. 

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