बाड़मेर के युवा किसान ने खेती में किया नया प्रयोग, देश ही नहीं विदेश में भी हो रही चर्चा, देखें

Dinesh Bohra

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Barmer: राजस्थान के रेगिस्तान में जहां लोग कभी पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसते थे. लेकिन अब इसी रेगिस्तान में फ्रेंच फ्रेंचाई के आलू की खेती की जा रही है. जो विदेशों में फ्रेंच फ्राई में काम आएंगे. बाड़मेर जिला मुख्यालय से मात्र 35 किलोमीटर दूर तारतारा गांव निवासी युवा किसान विक्रमसिंह ने विदेशी कंपनी से एग्रीमेंट कर नवीन तकनीक से आलू की बुवाई शुरू की थी और अब जब रेगिस्तानी धोरों में आलू की बंपर पैदावार हो रही हैं तो दूर दूर से लोग इस देखने के लिए उमड़ रहे हैं.

रेगिस्तान के धोरों में इस तरह की खेती के बारे में जानकर आपको जरूर अटपटा लग रहा होगा. लेकिन, यह सच है. आमतौर पर रेगिस्तानी इलाकों के खेतों में बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार और जीरे की ही बुवाई की जाती रही है. लेकिन पहले वकील, फिर पत्रकारिता और फिर बड़े महानगरों में अपना भाग्य आजमाने के बाद वापस अपने गांव में लौटकर विक्रमसिंह तारातरा ने अपने खेत के 25 एकड़ जमीन में आलू की बुवाई शुरू कर दी. इसके लिए विक्रमसिंह ने दुनिया की सबसे बड़ी फूड कंपनियों में शुमार कनाडा की मैकेन फूड्स कंपनी के लिए आलू की फसल की बुवाई की है.

अनूठे प्रयोग से सुर्खियों में गांव
खेती के इस अनूठे और नए प्रयोग से तारातरा गांव इस समय देश ही नहीं विदेश में भी सुर्खियां बटोर रहा है. क्योंकि यहां पर युवा किसान विक्रमसिंह ने खेती में कुछ नया करने की सोची और अब उनके खेत में आलू की बंपर पैदावार हुई तो यह साबित भी हो गया. इसी कारण विक्रमसिंह की चर्चा चारों तरफ जारी है. युवा किसान विक्रमसिंह तारातरा ने बताया कि खेत की 25 एकड़ जमीन में आलू की बुवाई की गई है. मैकेन कंपनी ने आलू के 32 हजार 500 किलोग्राम बीज उपलब्ध करवाए थे. उसी के आधार पर 25 एकड़ जमीन पर कंपनी के सहयोग से खेती शुरू की. कंपनी के दिशा निर्देशों पर काम करते हुए खेती जारी रखी और अब आलू की बंपर पैदावार हो रही है.

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विदेशों में फ्रेंच फ्राई में परोसा जाएगा बाड़मेर का आलू
किसान विक्रमसिंह के मुताबिक आलू की खेती के लिए कंपनी से एग्रीमेंट हो रखा है. उसी के आधार पर जो भी फसल की पैदावार होगी, वह विदेश के 160 देशों में मेहमानों के लिए फ्रेंज फ्राई से लेकर अन्य कई तरह की सब्जियों में उपयोग में लिया जाएगा. अनुमान है कि 100 दिन के अंदर फसल का 10 गुना उत्पादन हो जाएगा. इस खेती से महिलाओं से लेकर कई किसानों को रोजगार भी मिल रहा है. विक्रम सिंह के अनुसार पहली बार इस तरीके का प्रयोग किया जा रहा है, इसलिए अभी तक इस बात का कोई अनुमान नहीं है कि इस खेती में आय कितनी होगी.

तीन किस्म के आलू की होगी पैदावार
किसान विक्रमसिंह के अनुसार फसल की बुवाई 25 नवंबर से शुरू कर दी गई थी. 100 दिन बाद यानी मार्च और अप्रैल में इसकी पैदावार होगी. जो कि तीन अलग-अलग क्वालिटी की होगी. इसके लिए आलू निकालकर पैकिंग करने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है. कंपनी यहीं से आलू विदेश में ले जाएगी. मुझे उम्मीद है कि जो मैंने अनूठा प्रयोग कृषि में किया है, वह सफल होगा. एक अच्छी आमदनी होगी तो मैं आगे भी खेती में नवाचार करता रहूंगा.

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खेत की मिट्टी और पानी की हुई कई स्तर पर जांच
आलू की खेती के लिए युवा किसान ने पहले कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग बेस पर बातचीत की गई. जिसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने खेत की मिट्टी और पानी का कई स्तर पर टेस्ट करवाया. खेती के उपयुक्त स्थान पाए जाने पर मैकेन कंपनी के भारतीय प्रतिनिधित्व ने भी खेत की कई स्तर पर जांच की. आखिरकार कंपनी कॉन्ट्रैक्ट और एग्रीमेंट के लिए तैयार हो गई.

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विक्रमसिंह के मुताबिक आलू की अच्छी पैदावार के लिए कंपनी के प्रतिनिधित्व ने मुझे गाइड किया. उसी तरह से जुताई और बुवाई करवाई गई. गांव की महिलाओं को 2 दिन तक बीज तैयार करना सिखाया. उसके बाद 7 महिलाओं ने अच्छी तरीके से बीज तैयार किए और उसके बाद जुताई शुरू हो गई. अब पैदावार भी हो रही हैं.

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