Gold Silver Price Update: सोना या चांदी, किसमें निवेश ज्यादा फायदेमंद दांव? बुलियन रैली पर एक्सपर्ट्स की राय आई सामने
Gold Silver Price Update: सोना-चांदी की लगातार बढ़ती तेजी और रिकॉर्ड ऊंचाई कीमत छूने बाद अब एक सवाल आ रहा है कि किस धातु में निवेश सबसे ज्यादा फायदेमंद है? सोना-चांदी के इस एपिसोड में जानिए बुलियन रैली को लेकर एक्सपर्ट्स की क्या है राय, तेजी के पीछे की वजह, जोखिम और रिटर्न का पूरा एनालिसिस.

बीते कई महीनों से सोना और चांदी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. बढ़ते दाम के साथ ही सोना और चांदी दोनों धातु एक बार फिर निवेश की दुनिया में सुर्खियों में हैं. सवाल ये नहीं कि बुलियन में तेजी आई है या नहीं, सवाल ये है कि ये तेजी रुकेगी कब? और अगर आपके पास आज पैसा लगाने का मौका है, तो किस पर दांव ज्यादा समझदारी भरा होगा सोना या चांदी? सोना चांदी के इस एपिसोड में आज विस्तार से समझते हैं बुलियन मार्केट का क्या कुछ कहना है.
सोना-चांदी की रैली अभी रहेगी जारी
बुलियन बूम अभी खत्म नहीं हुआ है. साल 2025 में सोना और चांदी ने निवेशकों को हैरान कर देने वाले रिटर्न दिए हैं और एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह रैली अभी भी जारी रह सकती है. साल 2025 में बुलियन मार्केट ने वो कर दिखाया है, जिसकी उम्मीद बहुत कम लोगों को थी. इस साल अब तक सोने ने करीब 60 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न दिया है, जबकि चांदी ने निवेशकों को चौंकाते हुए लगभग 120 प्रतिशत तक की उछाल दिखा दी है. यानी जिसने साल की शुरुआत में चांदी पर भरोसा किया, उसकी दौलत दोगुनी से भी ज्यादा हो चुकी है.
तेजी के पीछे की वजह
इस जबरदस्त तेजी के पीछे सबसे बड़ा कारण है वैश्विक अनिश्चितता. दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं धीमी ग्रोथ, ऊंची महंगाई और जियो-पॉलिटिकल टेंशन से जूझ रही हैं. जब शेयर बाजार अस्थिर होते हैं और करेंसी पर दबाव बढ़ता है, तब निवेशक सुरक्षित ठिकाने तलाशते हैं और वहीं से सोने-चांदी की चमक बढ़ जाती है. सेंट्रल बैंकों की रणनीति ने भी इस रैली को ताकत दी है. कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपने फॉरेन रिजर्व में लगातार सोना जोड़ा है. इससे सोने की डिमांड बनी हुई है और कीमतों को मजबूत सपोर्ट मिल रहा है.
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चांदी बनी इंडस्ट्रियल मेटल
वहीं चांदी की कहानी थोड़ी अलग है. चांदी सिर्फ निवेश की धातु नहीं रही, बल्कि अब यह इंडस्ट्रियल मेटल भी बन चुकी है. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, सोलर पैनल, सेमीकंडक्टर और हाई-टेक इंडस्ट्री में चांदी की खपत तेजी से बढ़ी है. सप्लाई सीमित है और मांग लगातार ऊपर जा रही है, यही वजह है कि चांदी की कीमतों में उछाल सोने से भी तेज दिखाई दे रहा है. भारत में हालात ये हैं कि चांदी कई शहरों में 2 लाख रुपये प्रति किलो के पार पहुंच चुकी है, जबकि सोना 1.38 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तरों पर ट्रेड कर रहा है.
बूलियन बूम का क्या है स्टेटस?
लेकिन अब असली सवाल आता है कि आगे क्या होगा और क्या ये सही वक्त है निवेश का या अब मुनाफा वसूली का खतरा ज्यादा है? तो इस पर एक्सपर्ट्स का मानना है कि बुलियन बूम अभी खत्म नहीं हुआ है. टेक्निकल चार्ट्स और डिमांड ट्रेंड्स बताते हैं कि अगर सोना आने वाले समय में 1.50 लाख रुपये के स्तर को पार करता है या चांदी 2.40 लाख रुपये प्रति किलो के जोन को तोड़ती है, तो तेजी और फैल सकती है.
हालांकि दोनों धातुओं का स्वभाव अलग है. सोना ज्यादा स्थिर माना जाता है. यह महंगाई, करेंसी कमजोर होने और ग्लोबल संकट में बेहतर सुरक्षा देता है. लंबी अवधि के निवेशक, जो कम उतार-चढ़ाव चाहते हैं, उनके लिए सोना अब भी पहली पसंद बना हुआ है.
चांदी इसके उलट ज्यादा तेज और ज्यादा जोखिम भरी है. इसका बाजार सोने से छोटा है, इसलिए इसमें उतार-चढ़ाव भी ज्यादा होता है. लेकिन यही वजह है कि तेजी के दौर में चांदी, सोने से कहीं ज्यादा रिटर्न दे सकती है. एक्सपर्ट्स इसे मजाक में सोना ऑन स्टेरॉयड्स भी कहते हैं.
निष्कर्ष साफ है कि बुलियन की रैली अभी जिंदा है. समझदारी इसी में है कि निवेशक सोने और चांदी दोनों का संतुलन बनाएं. सोना सुरक्षा और स्थिरता के लिए, और चांदी बेहतर रिटर्न की संभावना के लिए. जल्दबाजी में पूरा दांव एक ही धातु पर लगाना जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन सही संतुलन के साथ बुलियन अब भी चमकदार मौका दे रहा है.










