करौली-धौलपुर सीट: मौजूदा सांसद का टिकट काटकर बीजेपी ने पूर्व प्रधान पर क्यों खेला दांव, जानें
सांसद राजोरिया को लेकर संघ और बीजेपी में शुरू से अंदरूनी विरोध देखा जा रहा था.
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करौली-धौलपुर के मौजूदा सांसद डॉ. मनोज राजोरिया का टिकट काटकर बीजेपी ने करौली पंचायत समिति की पूर्व प्रधान इंदु देवी जाटव पर भरोसा जताया है. एससी वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट से कांग्रेस और बीजेपी ने पहली बार जाटव नेताओं पर दांव खेला है. क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी भजन लाल जाटव और भाजपा प्रत्याशी इंदु देवी जाटव दोनों ही एक ही समाज के हैं और इनके बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा. हालांकि टिकट की दावेदारी कर रहे कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं की बगावत भी इस सीट पर देखने को मिल सकती है. टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस के रक्षीलाल ने भी पार्टी से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरने का ऐलान कर दिया है.
दरअसल, सांसद राजोरिया को लेकर संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में शुरू से ही अंदरूनी विरोध देखा जा रहा था. क्योंकि विधानसभा चुनाव में सांसद राजोरिया अपने संसदीय क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे. संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से बीजेपी सिर्फ दो ही सीट जीत पाई थी. जबकि धौलपुर जिले में बीजेपी खाता भी नहीं खोल सकी थी जिसके चलते राजोरिया का टिकट कटने की संभावनाएं प्रबल हो गई थी.
कौन हैं इंदु देवी जाटव?
इंदु देवी जाटव करौली-धौलपुर सीट पर बिलकुल नया नाम है क्योंकि वह इस सीट से पहली बार चुनाव लड़ने जा रही हैं. इंदु देवी जाटव करौली पंचायत समिति में साल 2015 से 2020 तक प्रधान रही हैं. उनका राजनीतिक करियर प्रधान के रूप में ही शुरू हुआ और अब वह सीधे लोकसभा चुनाव लड़ेगी. इंदु देवी ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है और अपने क्षेत्र में वह मजबूत पकड़ रखती हैं.
करौली-धौलपुर सीट का समीकरण
करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र पर दस साल से खटीक समाज के डॉ. मनोज राजोरिया का दबदबा रहा है. बैरवा समाज के खिलाड़ी लाल बैरवा भी यहां से सांसद रह चुके हैं. इस क्षेत्र को मूल रूप से जाटव-बैरवा बाहुल्य माना जाता है. यहां 21 फीसदी एससी आबादी है, जबकि 17 फीसदी आबादी एसटी है जो कि किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को विजयी बनाने में निर्णायक भूमिका निभाती है. इसलिए कांग्रेस और बीजेपी ने दलित प्रत्याशियों की घोषणा की है.
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