Rajasthan News: राजस्थान कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी जगजाहिर है, लेकिन प्रदेश भाजपा में भी इस समय ऑल इज वेल नहीं है. ऐसी ही तस्वीर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दो दिवसीय राजसमंद दौरे के दौरान देखने को मिली. इस दौरान एक बार फिर भाजपा की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई.
हालांकि वसुंधरा कैंप के नेता इस पूरी यात्रा को धार्मिक बताते हुए बचाव करते नजर आए, लेकिन राजसमंद जिला भाजपा कार्यकारिणी के नेताओं ने जयपुर से मिले निर्देश के बाद वसुंधरा राजे से दूरी बनाना ही मुनासिब समझा. पिछले दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के बारां और झालावाड़ दौरे के समय वसुंधरा राजे के करीबी कई नेताओं ने भी दूरी बनाए रखी थी.
राजसमंद आने से पहले वसुंधरा राजे के ऑफिस की तरफ से जिले के कई भाजपा नेताओं को फोन कर मुलाकात करने के लिए बुलाया था, लेकिन जयपुर से मिले निर्देश के बाद कार्यकारिणी के सदस्य वसुंधरा राजे से दूरी बनाए रहे. विधायक दीप्ति माहेश्वरी, पूर्व मंत्री श्री चंद कृपलानी, भाजपा से निष्कासित रणधीर सिंह भिंडर, पूर्व विधायक हरि सिंह रावत जैसे वसुंधरा राजे के करीब नेता ही उनके साथ खड़े नजर आए. चारभुजा दर्शन के दौरान वसुंधरा के मुख्यमंत्री कार्यकाल में राज्यमंत्री रहे सुरेंद्र सिंह राठौड़ भी उनसे मिलने तक नहीं पहुंचे. ऐसे में पार्टी की गुटबाजी से नाराज होकर वसुंधरा के कार्यक्रम में भी कई बदलाव देखने को मिले.
राजे ने अपने ही नेताओं की खोली पोल
वसुंधरा के राजसमंद दौरे के दौरान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत राजसमंद पहुंचे. दोनों ने एक साथ नाथद्वारा में एक रामकथा में शिरकत की. इस दौरान गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने संबोधन ने कहा कि आज देश के 130 करोड़ लोगों में विश्वास की आवश्यकता है,भारतीयता की आवश्यकता है. इससे पहले वसुंधरा राजे ने अपने संबोधन में हजारों की भीड़ के सामने कुर्सी के संघर्ष की बात कहते हुए अपनी ही पार्टी की आंतरिक गुटबाजी की पोल खोल डाली.
वसुंधरा राजे के राजसमंद दौरे पर जिला कार्यकारिणी और अन्य जनप्रतिनिधियों की दूरी ने भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी को फिर सतह पर ला दिया है. जिसे देखकर लगता है कि यह गुटबाजी चुनाव के नजदीक आने के साथ ही और चरम पर पहुंचेगी.
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कंटेंट: देवी सिंह