सरनेम ‘पायलट’ होने पर सचिन को स्कूल में चिढ़ाते थे बच्चे, कटारिया ने भी किया था ये तंज, पढ़ें ये रोचक किस्सा

बृजेश उपाध्याय

ADVERTISEMENT

Rajasthantak
social share
google news

Siasi Kisse: सचिन पायलट का सरनेम उनके पिता से मिला. पिता एयरफोर्स में पायलट थे. 1971 के वार का वो हिस्सा रहे और बड़ी बहादुरी से दुश्मनों का मुकाबला किया. वे जब एयरफोर्स छोड़कर राजनीति में आए तो संजय गांधी ने पायलट सरनेम दिया और राजस्थान के भरतपुर से चुनाव लड़वाया. यहीं से राजेश्वर बिधूड़ी राजेश पायलट बन गए. पिता से मिले पायलट सरनेम को लेकर जब सचिन स्कूल पहुंचे तो वहां बच्चे चिढ़ाने लगे.

टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में सचिन पायलट ने बताया था कि बचपन में स्कूल में बच्चे इनके सरनेम को लेकर चिढ़ाते थे. हालांकि पिता की तरह इनका सपना एयरफोर्स में पायलट बनकर खुले आसमान में उड़ान भरने का था. जब इन्हें पता चला कि इनकी आंखों की रौशनी कमजोर है तो एयरफोर्स में पायलट बनने का इनका सपना तब सपना ही रह गया. इनका दिल टूट गया.

ADVERTISEMENT

सियासी किस्से: राजनीति के जादूगर गहलोत जिस सीट से हारे पहला चुनाव, उसी को बनाया अपना गढ़, जानें

कटारिया ने भी पायलट सरनेम पर उठाया था सवाल
सचिन पायलट के राजनीति में आने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया ने एक सभा को संबोधित करते हुए सवाल उठाया था. कटारिया ने कहा था कि इनके पिता राजेश फोर्स में थे और पायलट थे, लेकिन इनके पूरे परिवार ने नाम के साथ पायलट लगाना शुरू कर दिया. मेरे पिता डॉक्टर थे तो क्या मैं और मेरा पूरा परिवार नाम के आगे डॉक्टर लगाना शुरू कर दें.

ADVERTISEMENT

सचिन पायलट ने दिया था ये जवाब
इसपर सचिन पायलट ने अपने डिग्रियों का हवाला देते हुए कहा था कि कभी फ्री रहूंगा तो प्लेन में घुमाउंगा कटारिया को. ध्यान देने वाली बात है कि TOI को दिए इंटरव्यू में सचिन पायलट ने बताया था कि उन्होंने अपनी मां को बिना बताए जहाज उड़ाने का लाइसेंस लिया था.

ADVERTISEMENT

2012 में सेना में जाने की इच्छा भी पूरी हुई
सचिन पायलट बचपन से सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहते थे. पायलट के पिता एयरफोर्स में स्क्वॉड्रन लीडर के पद से त्यागपत्र देकर राजनीति में आए पर बेटे सचिन पायलट को राजनीति में आने के बाद सेना में जाने का अवसर मिला. वर्ष 2012 में सूचना एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री रहते हुए सचिन पायलट को टेरिटोरियल आर्मी में कमीशन मिला. वर्ष 2019 में इन्हें 9 साल बाद टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन के पद पर प्रमोशन भी मिला. सचिन पहले ऐसे राजनेता हैं जिन्हें एसएसबी की परीक्षा पास करने के बाद सेना में शामिल किया गया है.

स्क्रीन ग्रैब: सचिन पायलट के ट्वीटर से.

टेरिटोरियल आर्मी में शामिल होने के बाद सचिन पायलट ने ट्वीट किया- ‘सशस्त्र बलों से प्रेरित होकर, मैं प्रादेशिक सेना में शामिल हो गया, मैंने न केवल एक सपना पूरा किया, बल्कि मैंने भारत की सेवा करने का एक और तरीका खोजा। आज जब हम प्रादेशिक सेना के गठन का जश्न मना रहे हैं, हम वर्दी में पुरुषों और महिलाओं का जश्न मना रहे हैं, जो हमारी सीमाओं, घरों और जीवन शैली की रक्षा करते हैं, जय हिंद’

सियासी किस्से: आजादी के बाद से ही राजस्थान कांग्रेस में फेस वॉर? जानें हीरालाल शास्त्री के CM बनने की कहानी

गौरतलब है कि टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना की ही एक ईकाई है. यह हमारे देश की रक्षापंक्ति की सेकंड लाइन है. टेरिटोरियल आर्मी के वॉलेंटियर्स को हर साल कुछ दिनों का सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर देश की रक्षा के लिए उनकी सेवाएं ली जा सकें. भारतीय संविधान सभा द्वारा सितंबर, 1948 में प्रादेशिक सेना अधिनियम –1948 पारित किया गया था. इसके तहत 1949 में टेरिटोरियल आर्मी स्थापित हुई थी. इसके ऑफिशयल वेबसाइट पर जाकर तय योग्यता और उम्र के तहत कोई भी आवेदन कर सकता है. परीक्षा, फिजिकल और मेडिकल के बाद अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है.

अब राजस्थान का कैप्टन बनने की ओर?
सचिन को टेरिटोरियल आर्मी में कमीशन मिलने के बाद अब कैप्टन भी बन गए. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी का कैप्टन बन 2018 का चुनाव भी लड़े पर राजस्थान का कैप्टन अभी तक नहीं बन पाए हैं.

सियासी किस्से: दुष्यंत को सिर्फ 50 रुपये पॉकेट मनी देती थीं वसुंधरा राजे, पढ़िए रोचक किस्सा

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT