राजस्थान में कौन होगा बीजेपी का सीएम चेहरा, क्या नए चेहरे पर खेला जा सकता है दांव?
Rajasthan Political News: राजस्थान में चुनावी साल में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां कमर कस चुकी हैं. जहां कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच रेस हो रही है तो वहीं बीजेपी में वसुंधरा राजे से लेकर सतीश पूनिया और गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे नाम इस कतार में हैं, लेकिन कमान किसको मिलेगी […]
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Rajasthan Political News: राजस्थान में चुनावी साल में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां कमर कस चुकी हैं. जहां कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच रेस हो रही है तो वहीं बीजेपी में वसुंधरा राजे से लेकर सतीश पूनिया और गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे नाम इस कतार में हैं, लेकिन कमान किसको मिलेगी और सीएम का चेहरा कौन होगा यह सवाल अभी बरकरार है.
इस बीच दिल्ली में सोमवार से बीजेपी की 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है. बैठक में इस बात पर फैसला होने की संभावना है कि राजस्थान में इस बार पार्टी का पावर किसके हाथों में रहेगा? बैठक में सीएम पद की दौड़ में चल रहे राजस्थान से कई नेता भी मौजूद हैं. वसुंधरा राजे से लेकर सतीश पूनिया और गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे नेता भी हैं तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा समेत तमाम नेता भी मंथन कर रहे हैं. इस साल जिन-जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव है इस कार्यकारिणी में उसको लेकर पार्टी अपनी दिशा और रणनीति स्पष्ट कर देगी.
बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरों की जोरदार पैरवी हो रही है. बैठक में अगली पीढ़ी के नेताओं को आगे बढ़ाने की संभावना बढ़ गई है. ऐसे में यदि नेतृत्व परिवर्तन पर मुहर लगी तो राजस्थान में बीजेपी का सीएम फेस कौन होगा. क्या किसी नेता के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा या फिर नाराज नेताओं को मनाने के लिए उनको चुनाव प्रबंधन समिति जैसी जिम्मेदारी देने की रणनीति बनेगी. यदि सीएम चेहरा उजागर नहीं होता है तो यह तय है कि सिर्फ प्रधानमंत्री को ही चेहरा मानते हुए पार्टी चुनाव में उतरेगी.
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ऐसे में वसुंधरा राजे फिर क्या कदम उठाएगी यह देखना दिलचस्प होगा. क्योंकि हाल ही में किसी ने गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान की कमान देने की बात कही तो किसी ने सतीश पूनिया की भैरोसिंह शेखावत से तुलना करते हुए उनको धरतीपुत्र बताया. ऐसे में बीजेपी की अंदरूनी राजनीति तेज हो गई है. हालांकि इन सबके बीच वसुंधरा राजे गुट इन दिनों शांत है और राजे की यह चुप्पी बड़े सियासी बवंडर की और इशारा कर रही है.
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