Ramadan में रोजा रख Holi पर वृंदावन के मंदिरों के लिए गुलाल गोटे बना रहा ये मुस्लिम परिवार
विश्वभर में विख्यात मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan) की होली को रंगीली और खुशबुदार बनाने के पीछे जयपुर के इन्ही मुस्लिम परिवार का हाथ है.
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सियासतदानों के लिए भले की कौम-जाति-क्षेत्र दिखता हो और दिखती हो वोट की राजनीति पर गंगा-जमुनी तहजीब से लबरेज गुलाबी शहर जयपुर (Jaipur news) की खूबसूरती आप बखूबी देख सकते हैं. रमजान (ramadan 2024) पर पिछले जुम्मे की नमाज के लिए जैसे ही श्याम भक्तों ने यात्रा में चल रहे DJ को बंद करा दिया ये देख मुसलमानों ने उनपर फूल बरसा दिए. यहां पुलिस पहले से मुस्तैद थी ये सोचकर कि मस्जिद के सामने से यात्रा निकलेगी और डीजे बजेगा तो कहीं माहौल बिगड़े ना. पर ये नजारा देख पुलिस के भी चेहरे खिल उठे थे.
पाक महीना रमजान में रोजा रख मुस्लिम परिवार अब गुलाल गोटे बनाने में जुट गए हैं क्यों कि होली (Holi 2024) भी तो आ गई है. होली में रंग-बिरंगे गुलाल गोटे मंदिरों के लिए जाएंगे और गली-सड़कों पर भी लोगों में उसकी धूम होगी. होली इन रंगों में गंगा-जमुनी तहजीब वाला प्यार का रंग भर रहे ये मुस्लिम परिवार सुबह से लेकर शाम रोजा खोलने से पहले तक गुलाल गोटे बना रहे हैं.
विश्वभर में विख्यात मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan) की होली को रंगीली और खुशबुदार बनाने के पीछे जयपुर के इन्ही मुस्लिम परिवार का हाथ है, जो रोजा रखने के बावजूद परिवार के साथ दिन-रात रंग और अबीर से भरे लाख के गुलाल गोटा तैयार करने में जुटे रहते हैं.
10वीं पीढ़ी भी बना रही गुलाल गोटे
वैसे तो लाख के गुलाल गोटे का इतिहास करीब 400 साल पुराना बताया जाता है, लेकिन जयपुर के आवाज मोहम्मद की 10वीं पीढ़ी अभी भी इसी काम में जुटी है. आवाज मोहम्मद की बेटी गुलरुख सुल्ताना ने बताया कि लाख का इतिहास वर्षो पुराना है और लाक्षागृह से लाख की मान्यता है. वहीं उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी भी होली पर लाख के गुलाल गोटे बनाने का काम कर रहा है.
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मथुरा-वृ्ंदावन के मंदिरों के लिए मिलता है ऑर्डर
यह गुलाल गोटे खासतौर पर ऑर्डर पर बनाए जाते हैं और हर बार राजपरिवार व मथुरा वृंदावन के मंदिरों के लिए 2 महीने पहले ही इसका ऑर्डर मिल जाता है. जिसके बाद पूरा परिवार इसमें जुट जाता है. गुलाल गोटे की खासियत यह है कि लाख के गुलाल गोटे में रंग-बिरंगी गुलाल भरते हैं और जब इसी गुलाल गोटे को किसी पर फेंक कर मारा जाता है तो गुलाल गोटा टूट कर बिखर जाता है फिर जो माहौल बनता है वह समा बांध देता है.
जयपुर राजघराना गोटे से खेलता था गुलाल
इसके पीछे के इतिहास को लेकर उन्होंने बताया कि पहले के जमाने में राजा-महाराजा हाथी पर बैठकर थाल में गुलाल गोटे सजाकर प्रजा के साथ होली खेला करते थे और प्रजा भी उनके साथ होली खेला करती थी. यही नहीं जयपुर के सिटी पैलेस में अभी भी होली के पर्व पर राज परिवार गुलाल गोटे से ही होली खेलते हैं, जिनके लिए गुलाल गोटे मुस्लिम परिवार ही तैयार करते हैं. इसलिए गुलाल गोटे को हिंदू-मुस्लिम के भाईचारे का प्रतीक भी कहा जाता है. इसके लिए मुस्लिम परिवार पूरे साल भर इसका इंतजार करते हैं.
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ऐसे होते हैं गुलाल गोटे
वहीं लाख आर्टिस्ट परवेज मोहम्मद ने बताया कि रमजान का मुकद्दस महीना और उसके बीच होली का त्यौहार जिस पर लाख के गुलाल गोटे तैयार करते हैं. नेचुरल लाख जो पेड़ से निकलती है उसी को पिघलाकर बांसुरी की सहायता से उसे तैयार करते हैं. एक लाख की कटोरी करीब 5 ग्राम की होती है जिसमें 15 ग्राम गुलाल भरी जाती है, फिर इसके ऊपर कागज की सील लगाकर पैक किया जाता हैं. यह बहुत ही नाजुक होता है जिसको फेंकने पर चोट नहीं लगती बल्कि आदमी गुलाल से सराबोर हो जाता है.
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निभाई जा रही परंपरा
हालांकि इसको बनाने में जो लागत लगती है उससे बहुत कम आमदनी होती है, लेकिन फिर भी परंपरा निभा रहे हैं. यही वजह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी इसके मुरुद हो गए. यही नहीं भारत के बहुत से हिस्सों के साथ विदेशों तक गुलाल गोटे की खास डिमांड रहती है, लेकिन अब जयपुर का यह मुस्लिम परिवार सिर्फ परंपरा निभाने के लिए राजपरिवार और मंदिरो के लिए ही लाख के गुलाल गोटे तैयार करते हैं.
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