अजमेर (Rajasthan news) की टाडा कोर्ट ने 6 दिसम्बर 1993 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के मौके पर देश के पांच राज्यों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मास्टर माइंड कहे जाने वाले अब्दुल करीम उर्फ टुंडा (abdul karim tunda) को बरी कर दिया है. वहीं बम धमाकों में शामिल इरफान और हमीद्दुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. विशिष्ट लोक अभियोजक ने कहा है सीबीआई से बात करने के बाद फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
ADVERTISEMENT
कोर्ट ने 30 साल बाद सुनाए गए फैसले में टुंडा को सभी आरोपों से बरी कर दिया है. 28 फरवरी, 2004 को टाडा कोर्ट ने ही मामले में 16 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 4 आरोपियों को बरी कर दिया था, जबकि अन्य आरोपियों की सजा बरकरार रखी थी. सीबीआई का दावा था कि अब्दुल करीम टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन 6 दिसंबर, 1993 को कानपुर, हैदराबाद, सूरत, लखनऊ और मुंबई की ट्रेनों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में शामिल थे.
जानकारी के अनुसार सीबीआई ने अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को 2013 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया था . टुंडा को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की और से मिले निशुल्क पैरवी के लिए मिले वकील सफकत सुल्तानी ने बताया की कोर्ट ने अब्दुल करीम टुंडा को हर धारा और आरोपों में बरी किया है. सीबीआई टुंडा के खिलाफ टाडा एक्ट, आईपीसी, रेलवे एक्ट , विस्फोटक एक्ट में कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी इसलिए कोर्ट ने अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है.
अब तक अब्दुल करीम टुंडा पर जितने भी मुकदमे दर्ज हुए हैं उनम से किसी भी मुकदमे में टुंडा आरोपी सिद्द नहीं हुए हैं. टाडा कोर्ट के विशिष्ट लोक अभियोजक ब्रिजेश कुमार पांडे ने कहा कि कोर्ट ने इन आधारों को ध्यान में रखते हुए टुंडा को रिहा किया है. ब्रिजेश कुमार पांडेय ने कहा कि टाडा कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. ध्यान देने वाली बात है कि देशभर में टाडा की तीन अदालतों में से ये मामला अजमेर की टाडा अदालत में चल रहा था.
ADVERTISEMENT