राजस्थान 2023: प्रदेश की सियासत में Face War का कैसा होगा Face, जानें

गौरव द्विवेदी

01 Jan 2023 (अपडेटेड: Jan 1 2023 12:55 PM)

Rajasthan News: नया साल 2023 राजस्थान के लिए खास रहने वाला है. साल के अंत तक राजस्थान की जनता जनादेश सुना देगी. ऐसे में इस पूरे साल सियासी घमासान अपने चरम पर दिखाई दे सकता है. साल 2018 के बाद फिर से Face War के रूझान दिखाई दे रहे हैं. क्योंकि कांग्रेस के आंतरिक कलह पर […]

Rajasthantak
follow google news

Rajasthan News: नया साल 2023 राजस्थान के लिए खास रहने वाला है. साल के अंत तक राजस्थान की जनता जनादेश सुना देगी. ऐसे में इस पूरे साल सियासी घमासान अपने चरम पर दिखाई दे सकता है. साल 2018 के बाद फिर से Face War के रूझान दिखाई दे रहे हैं. क्योंकि कांग्रेस के आंतरिक कलह पर तंज कसने वाली बीजेपी में भी अब इसकी शुरूआत हो चुकी है. बीजेपी प्रभारी अरूण सिंह ने जब प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की पीठ थपथपाई तो वसुंधरा राजे सक्रिय हो गई. दूसरी ओर वसुंधरा राजे जैसे कई बड़े नेताओं के सरदारशहर उपचुनाव से दूरियां बनाने पर मीडिया से बातचीत में पूनिया ने भी इशारा कर दिया कि उपचुनाव में वह अकेले कैसे चमत्कार कर देते?

यह भी पढ़ें...

जनाक्रोश रैली में कभी ट्रेक्टर तो कभी कार्यकर्ताओं की अकेले अगुवाई करते पूनिया ने यह भी जता दिया कि वह बीजेपी के मोर्चे की अगुवाई करने को भी तैयार हैं. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रैली को आईपैड पर संबोधित किया. जिसकी तस्वीर ने गुटबाजी के कयास पर मुहर लगा दी. दूसरी ओर, राजेंद्र राठौड़ जैसे भी नेता है तो लगातार जीत के बाद अब सिर पर ताज का ख्बाव देख रहे हैं. 

बीजेपी के हर गढ़ में क्षत्रप, सवाल बरकरार कि कौन बनेगा दिग्गज
इधर, दावेदारों की इस लड़ाई में एक तथ्य खास है. साल 2018 में चुनाव होने से पहले वसुंधरा राजे के विकल्प तलाशने पर बात हो रही थी. चर्चाएं यह भी हुई कि जनादेश बीजेपी के खिलाफ नहीं बल्कि वसुंधरा के खिलाफ मिला है. लेकिन बीजेपी के लिए इस बार भी वह चुनौती बरकरार है. मारवाड़ में गजेंद्र शेखावत, मेवाड़ में गुलाबचंद कटारिया, हाड़ौती के केंद्र में वसुंधरा, नागौर-चूरू वाले शेखावटी क्षेत्र में राजेंद्र राठौड़ और राजधानी में कमान संभाले बैठे पूनिया. प्रदेश के हर क्षेत्र में बीजेपी के क्षत्रपों की फौज तो बड़ी है. लेकिन पार्टी के सामने चुनौती यह है कि सर्वमान्य चेहरा नहीं है.

जब बीजेपी में हर क्षेत्र से कुर्सी के लिए दावेदारी की लड़ाई नजर आती है तो कांग्रेस भी कहने से नहीं चूकती कि हमारे घर से ज्यादा खींचतान तो बीजेपी में मची हुई है. जैसा बयान कांग्रेस सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और गुजरात प्रभारी रघु शर्मा ने दिया कि कांग्रेस में कोई उलझन नहीं है, उलझन तो बीजेपी में है. शायद इस उलझन को बीजेपी का आलाकमान भी बखूबी समझता है. इस बीच अगर यूपी-गुजरात की सफलता का फॉर्मूला लागू हुआ तो मुमकिन यह भी है कि बीजेपी बिना चेहरे के ही चुनाव लड़े.

यह भी पढ़ेंः पेपर लीक के आक्रोश के बीच क्या गहलोत बेरोजगार युवाओं के दर्द को कर पाएंगे कम? जानें

पायलट-गहलोत की लड़ाई के बीच चर्चाएं यह कि चन्नी कौन होगा

वहीं, कांग्रेस की बात करें तो 4 साल के भीतर पार्टी आलाकमान तय नहीं कर पा रहा है कि राजस्थान की सियासत की तस्वीर क्या होगी? फिलहाल यह तस्वीर काफी धुंधली नजर आती है. इस तस्वीर को चमकाने के चक्कर में पार्टी के दो प्रभारी अविनाश पांडे और अजय माकन की छुट्टी हो गई. जिसके बाद अब कमान पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के हाथ में है. वहीं, पंजाब जहां कांग्रेस ने आसानी से सत्ता गंवा दी और हार के बाद राजनीति के केंद्र में आ गए पूर्व सीएम चन्नी.

तस्वीर: राजस्थान तक.

दिलचस्प है कि जब उसी पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम को प्रभार सौंपा तो चुटकी इस बात को लेकर भी ली जा रही है कि अगर पायलट-गहलोत के बीच मसला नहीं सुलझा तो राजस्थान में चन्नी कौन होगा? क्या किसी तीसरे की भी बात होगी. क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए जब सितंबर के महीने में अशोक गहलोत का नाम सामने आया तो तीसरे दावेदार के तौर पर कई नाम चलने लगे. जिसमें प्रमुखता से जो चेहरा छाया रहा वह था विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी. बरहाल राहुल गांधी की बताए हुए दो असेट गहलोत-पायलट को कांग्रेस संभालने का काम कर रही है. गुटबाजी के सवाल पर रंधावा भी कह रहे है कि ये मेरा काम है और मैं अपना काम कर रहा हूं.

यह भी पढ़ेंः आखिरकार राजस्थान कांग्रेस में होगी नई नियुक्तियां, नए साल पर मिलेगी संगठन को मजबूती?

    follow google newsfollow whatsapp