राज्यपाल बनने के बाद पहली बार मेवाड़ पहुंचे कटारिया, हुआ भव्य स्वागत, कल होगा विदाई समारोह, जानें

Mahendra Bansrota

18 Feb 2023 (अपडेटेड: Feb 18 2023 2:43 PM)

Rajasthan News: असम का राज्यपाल बनने के बाद गुलाब चंद कटारिया शनिवार को पहली बार मेवाड़ की धरती पर पहुंचे. यहां उदयपुर एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं और आम जनता ने उनका भव्य स्वागत किया. रविवार को उनका विदाई समारोह होगा. कटारिया को लोगों ने उदयपुर विधानसभा क्षेत्र से जीताकर लगातार कई बार विधानसभा में पहुंचाया है. […]

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Rajasthan News: असम का राज्यपाल बनने के बाद गुलाब चंद कटारिया शनिवार को पहली बार मेवाड़ की धरती पर पहुंचे. यहां उदयपुर एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं और आम जनता ने उनका भव्य स्वागत किया. रविवार को उनका विदाई समारोह होगा. कटारिया को लोगों ने उदयपुर विधानसभा क्षेत्र से जीताकर लगातार कई बार विधानसभा में पहुंचाया है. काफी संख्या में लोग उनसे मिलने के लिए पहुंचे और उनके मन में कटारिया के लिए काफी सम्मान और उत्सुकता देखने को मिली.

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गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि मेरा जीवन कुछ इस तरीके से सामान्य रहा है कि मेरे पिताजी का ट्रांसफर होने के बाद उदयपुर में मैं अपनी पढ़ाई अकेला रहकर करता था. ऐसे में मैं खुद अपना खाना बनाता रहा हूं. लंबे अरसे तक यह संयोग था कि मैं खुद हाथों से ही खाना बनाकर खाता था. ऐसे में उनके जीवन को अगर देखा जाए तो काफी मुश्किल भरा जीवन रहा. लेकिन उन मुश्किलों से निकलकर कटारिया ने राजनीति में अपनी अलग छाप छोड़ी है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आईने की तरह काम करेगी. उन्होंने आम आदमी की तरह अपने जीवन में संघर्ष करके राज्यपाल तक का सफर तय किया है.

प्राइवेट स्कूल में मास्टर से लेकर असम के राज्यपाल तक का सफर
गुलाब चंद कटारिया ने अपने सफर की शुरुआत एक प्राइवेट स्कूल में टीचर के रूप में की थी. उसके बाद जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा तो पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ते रहे. वसुंधरा सरकार में वह कई बड़े पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. नेता प्रतिपक्ष के रूप में शानदार विपक्ष की भूमिका भी निभाई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा कि जब कटारिया कैमरे के सामने होते हैं तो हमारी सरकार की और हमारी ऐसी की तैसी कर के रख देते हैं. गहलोत ने तो यह भी कहा कि मेरी भी ऐसी की तैसी कर के रख देते हैं. जाहिर सी बात है कि गुलाब चंद कटारिया अपने काम को बखूबी निभाना जानते हैं और इसी के चलते अब उन्हें असम के राज्यपाल के रूप में मनोनीत किया गया है.

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