Rajasthan: परसराम मदेरणा के सीएम नहीं बन पाने की CM गहलोत ने बताई ये वजह
Chief Minister Ashok Gehlot On Parasram Maderna: राजस्थान की सियासत में एक चर्चा काफी रहती है कि परसराम मदेरणा अशोक गहलोत के चलते सीएम बनते-बनते रह गए. दरअसल साल 1998 का विधानसभा चुनाव परसराम मदेरणा के चेहरे पर लड़ा गया. जाटों की एकजुटता के चलते उस दौरान कांग्रेस को 200 सीटों में से 153 सीटों […]
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Chief Minister Ashok Gehlot On Parasram Maderna: राजस्थान की सियासत में एक चर्चा काफी रहती है कि परसराम मदेरणा अशोक गहलोत के चलते सीएम बनते-बनते रह गए. दरअसल साल 1998 का विधानसभा चुनाव परसराम मदेरणा के चेहरे पर लड़ा गया. जाटों की एकजुटता के चलते उस दौरान कांग्रेस को 200 सीटों में से 153 सीटों पर जीत मिलीं. इस जीत के बावजूद राजस्थान में परसराम मदेरणा सीएम बनते-बनते रह गए और ताज अशोक गहलोत के सिर सज गया.
लल्लन टॉप के खास शो जमघट में इससे जुड़े सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वो वजह बताई जिसके चलते मदेरणा सीएम नहीं बन सके.
हो सकता है उनके परिवार वालों को तकलीफ हो- गहलोत
अशोक गहलोत ने कहा- महिपाल मदेरणा जी से रिश्ते अच्छे रहे हैं. पर मैं सीएम बन गया. हो सकता है कि उनके परिवार वालों को तकलीफ हो. उनकी हेल्थ प्रॉब्लम थी. उन्होंने खुद मुझे कहा. मैं समझा चुका था कि बायपास करा लीजिए. उनकी प्रॉब्लम दूसरी थी. जीतने के बाद जब उनसे कहा गया तो उन्होंने साफ कहा कि मैं उम्मीदवार नहीं हूं.
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जानें क्या था वो पूरा मामला
1998 के विधानसभा चुनावों के बाद लगभग तय था कि मदेरणा सीएम बनेंगे. 200 सीटों में से कांग्रेस को 153 सीटें मिली थी. विधायक दल की मीटिंग बुलाई गई. उस समय सोनिया गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष थी. 30 नवंबर 1998 की दोपहर जयपुर में विधायक दल की बैठक शुरू हुई. राज्य के कांग्रेस प्रभारी माधव राव सिंधिया के अलावा गुलाम नबी आजाद, बलराम जाखड़, मोहसिना किदवई जयपुर पहुंच चुके थे. बैठक में एक लाइन प्रस्ताव के बाद अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया. वहीं परसराम मदेरणा को विधानसभा अध्यक्ष का पद दिया गया.
कहते हैं मदेरणा को मनाना पड़ा
बताया जाता है कि सोनिया गांधी के निर्देश पर अशोक गहलोत का नाम फाइनल हुआ जिसके बाद दिल्ली से 4 नेता जयपुर पहुंचे. इन नेताओं ने सभी विधायकों के मन की बात जानने के बाद कहा कि मैडम चाहती हैं कि अशोक गहलोत सीएम बने. इन चार नेताओं में बलराम जाखड़ भी शामिल थे जो कि परसराम के रिश्तेदार थे. मदेरणा को मनाने की जिम्मेदारी इन्हें ही दी गई थी. मदरेणा ने भी सोनिया गांधी के एक लाइन प्रस्ताव और अपने रिश्तेदार जाखड़ की बात मान ली और वह सीएम की बजाय विधानसभा अध्यक्ष बनने पर राजी हुए.
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