किरोड़ीलाल vs पूनिया: एक विधानसभा सीट को लेकर शुरू हुई थी खींचतान, जानें इनके बीच की सियासी लड़ाई

ललित यादव

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Kirorilal meena vs satish Poonia: राजस्थान में कांग्रेस के बाद अब बीजेपी में भी बयानबाजी के बीच आपसी लड़ाई खुलकर सामने आने लगी है. प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और सांसद किरोड़ीलाल मीणा के बीच सियासी लड़ाई पुरानी है. जो अब एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. वहीं पीएम मोदी की 12 फरवरी की मीणा हाईकोर्ट में होने वाली रैली भी कैंसिल हो गई है. जानकार इसकी वजह किरोड़ीलाल मीणा और सतीश पूनिया के बीच की अदावत को मान रहे हैं. वहीं राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि सभा की जगह को लेकर आपत्ति के कारण रैली कैंसिल की गई है. मीणा हाईकोर्ट में सांसद किरोड़ीलाल मीणा का प्रभावित क्षेत्र माना जाता है, दूसरी तरफ इसका कारण किरोड़ीलाल मीणा द्वारा शनिवार को दिए उनके बयान को बताया जा रहा है. शनिवार को किरोड़ीलाल मीणा ने बीजेपी और सतीश पूनिया पर सवाल खड़ा कर दिया था.

शनिवार को पूनिया पर किरोड़ीलाल ने खड़ा किया था सवाल
शनिवार को किरोड़ीलाल मीणा ने पूनिया पर निशाना साधते हुए कहा था कि मुझे भयंकर दुख हो रहा है कि सतीश पूनिया के नेतृत्व में पार्टी जिस मजबूती से इस मुद्दे को लेकर खड़ी होनी चाहिए थी, वैसे नहीं खड़ी हुई. पार्टी को ऐसे मुद्दों पर जिस मजबूती के साथ लगना चाहिए था वैसे नहीं लगी. इसका मुझे बहुत दुख हो रहा है. मीणा ने आगे कहा कि पूनिया पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष है. इस पेपर लीक मामले पर बिल्कुल भी आक्रामक नजर नहीं आए. इसको लेकर मैंने आलाकमान से भी बात की है.

12 दिन बाद धरना समाप्त कर पूनिया पर साधा निशाना
दरअसल, बीते 12 दिनों से पेपर लीक मामले पर गहलोत सरकार को घेरने के लिए किरोड़ीलाल मीणा धरने पर बैठे थे. 31 जनवरी को सतीश पूनिया किरोड़ीलाल मीणा से मिलने पहुंचे थे. उस दौरान सतीश पूनिया ने कहा था कि कल से पूरे प्रदेश में युवा मोर्चा का विरोध प्रदर्शन शुरू होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है. शनिवार को किरोड़ीलाल मीणा ने गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के साथ बातचीत के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया था. जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर किरोड़ीलाल मीणा ने सतीश पूनिया को अपने निशाने पर लिया.

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12 फरवरी को मीणा हाईकोर्ट में होने वाली पीएम मोदी की रैली रद्द
जानकारी के अनुसार बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और किरोड़ीलाल मीणा की अदावत के चलते मीणा हाईकोर्ट से रैली को कैंसिल किया गया है. शनिवार को पेपर लीक मामले की लेकर किरोड़ीलाल मीणा ने सतीश पूनिया को अपने निशाने पर ले लिया था. किरोड़ीलाल मीणा ने सतीश पूनिया पर सवाल उठाते हुए कहा था कि प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर पूनिया ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई.

सतीश पूनिया और किरोड़ीलाल मीणा में पुरानी सियासी खींचतान
हम डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की पार्टी की चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसी के चलते सतीश पूनिया और किरोड़ीलाल मीणा के बीच अदावत बनी. जैसा की आप जानते हैं कि सतीश पूनिया वर्तमान में जयपुर की आमेर विधानसभा से विधायक है. इसी विधानसभा से 2013 में किरोड़ीलाल मीणा की राजपा पार्टी से नवीन पिलानियां जीते थे. उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी सतीश पूनिया को हराया था. अदावत की कहानी वहीं से शुरू होती है. कौन जानता था कि एक दिन सतीश पूनिया को हराने वाले डॉ. किरोड़ीलाल मीणा बीजेपी से साइड लाइन नजर आएंगे. राजनीतिक जानकार बता रहे हैं पूनिया और किरोड़ीलाल मीणा की अदावत उसी समय से शुरू हुई थी.

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2018 में राजपा का भाजपा में विलय लेकिन पूनिया से बैर
2018 में राजपा का बीजेपी में विलय हो गया. किरोड़ीलाल मीणा ने बीजेपी में घर वापसी की. उसके बाद उन्हें बीजेपी से राज्यसभा भेजा गया. बीजेपी में आने के बाद किरोड़ीलाल मीणा ने आमेर सीट से 2013 में राजपा के विधायक रहे नवीन पिलानियां के लिए बीजेपी से टिकट की पैरवी की. लेकिन वह नवीन को टिकट नहीं दिला पाए. आमेर सीट से बीजेपी ने सतीश पूनिया को टिकट दिया. वहीं पिलानियां ने बसपा से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में किरोड़ीलाल मीणा ने नवीन पिलानियां का साथ दिया था. लेकिन वह खुलकर सामने नहीं आए थे. लेकिन यहां बीजेपी के प्रत्याशी सतीश पूनिया की जीत हुई और नवीन पिलानियां दूसरे स्थान पर रहे.राजपा के विलय के साथ 3 विधायक भी भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन आमेर से विधायक रहे नवीन पिलानियां बीजेपी में शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने बसपा के चुनाव लड़ा था. आमेर सीट से ही दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई जारी है. और इस लड़ाई में किरोड़ीलाल मीणा का नाम भी आता है.

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वसुंधरा से नाराजगी के बाद हुआ था राजपा का गठन 
आरएसएस और बीजेपी के साथ अपना राजनैतिक सफर शुरू करने वाले किरोड़ीलाल मीणा ने वसुंधरा से अदावत के बाद बीजेपी को छोड़ दिया था. वसुधंरा के साथ अदावत के चलते 2013 के विधानसभा चुनावों में अपनी राजपा (राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी) ने चुनाव लड़ा. 134 विधानसभा सीटों पर किरोड़ीलाल मीणा की पार्टी ने चुनाव लड़ा और 4 सीटों पर पार्टी को जीत मिली जबकि 11 स्थानों पर दूसरे नंबर पर रही. उस दौरान पार्टी को कुल 13 लाख 12 हजार वोट मिले. जो कि कुल वोटों को 4.35 प्रतिशत था. 2019 के चुनावों में मीणा वोटर्स को अपने पाले में करने के लिए किरोड़ीलाल मीणा को फिर से भाजपा में लाने की कोशिश की गई. और राज्यसभा भेजने के प्रस्ताव के साथ किरोड़ीलाल मीणा भाजपा में शामिल हो गए. मीणा समुदाय का प्रदेश की 40 से 45 सीटों पर प्रभाव माना जाता है. ऐसे में मीणा वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा की यह रणनीति सफल रही.

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