शहीदों की पत्नियों के साथ पुलिस के बर्ताव पर भड़के पायलट, गहलोत सरकार को दी ये नसीहत, जानें

शरत कुमार

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Strike of heroines of Pulwama martyrs: पुलवामा शहीदों की पत्नियों के साथ राज्य सरकार के बर्ताव के बाद टोंक दौरे पर पहुंचे सचिन पायलट ने अपनी प्रतिक्रिया दी. पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने कहा- इस मुद्दे पर कभी भी और किसी को भी राजनीति नहीं करनी चाहिए. सुप्रीम सेक्रिफाइस जिन्होंने किया है उन लोगों की तुलना करना संभव नहीं है. उनके परिजन देश की संपत्ति हैं. उनको मान सम्मान देना, उनको हर तरह मदद करना हर सरकार, हर नागरिक और हर संस्था, हम सभी का कर्तव्य है.

सचिन पायलट ने आगे कहा- ‘मैं ऐसा मानता हूं कि जो वीरांगनाओं का जो पैकेज है, सहायता है वो केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से इनको मिला है. इसके अलावा भी अगर कोई मांग थी तो उनकी मांगों को संवेदनशीलता से बैठकर सुनते और किसी भी नागरिक खासकर ये जो वीरांगनाएं हैं उनकी बातों को सुनना, संवेदनशील होना, मांगे कितनी जायज कितनी संभव हैं कानूनी, संवैधानिक जो मसले हैं उन्हें आज नहीं तो कल सुलझा सकते हैं. उनकी बातों को सुनना जरूरी थी. ये तीनों महिलाएं मेरे घर पर आईं थीं. मेरा घर मेरा नहीं सरकार का घर है. मैंने उनकी बातों को सुना. मैंने खाना खिलाया, जूस पिलाया. वे बहुत उत्तेजित और दुखी थीं.’

ऐसे दुव्यवहार करने-कराने वालों पर कार्रवाई हो- पायलट
सचिन पायलट ने आगे कहा- ‘कारण कोई भी हो. कोई भी वीरांगना अपनी बात को रखती हो चाहे बात मानें या न मानें वो बाद का विषय है, लेकिन उनके साथ जो व्यवहार पुलिस ने किया जो हमने टेलीविजन में देखा, वो उसको कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता. किसी भी नागरिक के साथ अगर इस प्रकार का व्यवहार किया जाता है तो हम एक्सेप्ट नहीं कर सकते खासतौर पर जो महिलाएं हैं विधवा हैं कोई भी कारण रहा हो. जिस प्रकार का ट्रीटमेंट किया उसे वो बता रही थीं. मैं खुद भी आहत था. मुझे लगा कि किसी व्यक्ति ने इस प्रकार कार्रवाई कराई है या करी है तो उसकी जांच कराकर उसपर कार्रवाई करनी चाहिए. ऐसा मेरा मामना है. मैं आज भी इस बात पर कायम हूं.’

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देश में ऐसा मैसेज नहीं जाना चाहिए- पायलट
पायलट ने आगे कहा- ‘इस मुद्दे पर किसी को भी राजनीति नहीं करनी चाहिए. हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है. धरना देना, प्रदर्शन करना मांग रखना ये हमारे लोकतंत्र की पहचान है. इसपर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. आज भी मैं मानता हूं कि अगर कोई छोटी-मोटी मांगे हैं किसी की सड़क का, चारदीवारी का, मूर्ति का है उस काम को हम पूरा कर सकते हैं. देश में ऐसा मैसेज नहीं जाना चाहिए कि वीरांगनाओं की बात हम सुनने को भी तैयार नहीं हैं.

बात सुनने में ईगो सामने नहीं लाना चाहिए- पायलट
मानना न मामना बाद की बात है, लेकिन बात को सुनने में किसी को ईगो सामने नहीं लाना चाहिए. मेरे घर ये अचानक आ गईं. मैंने उनकी बात सुनी. महिला हैं भावुक हैं उनकी मानसिक स्थिति क्या होगी, क्या उनपर बीती होगी.
बड़ी संवेदनशीलता से उनकी बातों को सुना जाना चाहिए था. जो पॉसिबिल है बताना चाहिए था. अगर नहीं भी करना है तो उनको बैठकर समझाते या समझाने का काम किया गया होता तो बेहतर तरीके से मामले को निपटाया जा सकता था.

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फौज हमारे देश की है किसी दल की नहीं- सचिन पायलट
सचिन पायलट ने कहा- ‘मुझे नहीं लगता कि इसमें बीजेपी, कांग्रेस, जनता दल इस प्रकार की बात करनी चाहिए. ये देश किसी एक दल का नहीं है. ये पूरे भारतवासियों का देश है. हमारी जो फौज है पूरे देश के लिए है. हमारे जो सैनिक सरहद पर खड़े हैं वो पूरे देश के लिए खड़े हैं. उनके मान सम्मान में कमी नहीं आनी चाहिए.’

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गौरतलब है कि टोंक के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे सचिन पायलट ने विकास के कामों का लोकार्पण किया. पायलट ने मीडिया से बात करते हुए पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं को लेकर अपनी संवेदना जाहिर की.

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