कोटा: वीरांगना का जीना दुर्भर, चप्पे-चप्पे पर घर के बाहर पुलिस बल तैनात, सब्जी लेने भी नहीं जा सकती
Kota: कोटा के सांगोद से शहीद हेमराज मीणा की वीरांगना को पुलिस जब से जयपुर से उठाकर सांगोद उनके घर पर लेकर आई है. तब से घर में कैद कर रखा है. इसके चलते वीरांगना ना ही मंदिर जा सकती. ना ही अपने बच्चों का एडमिशन करा सकती. यहां तक कि घर का राशन लेने […]
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Kota: कोटा के सांगोद से शहीद हेमराज मीणा की वीरांगना को पुलिस जब से जयपुर से उठाकर सांगोद उनके घर पर लेकर आई है. तब से घर में कैद कर रखा है. इसके चलते वीरांगना ना ही मंदिर जा सकती. ना ही अपने बच्चों का एडमिशन करा सकती. यहां तक कि घर का राशन लेने भी बाहर नहीं निकल सकती. उस पर पुलिस ने पाबंदी लगा रखी है. वीरांगना मधुबाला के घर के बाहर सिविल ड्रेस में बड़ी संख्या में महिला पुलिस का जाब्ता तैनात किया गया है. जो पूरे घर के चारों ओर बैठी रहती है और जो पुलिस के जवान हैं उनको चौराहे और गलियों के कोनों पर लगाया गया है.
बाजार में सामान लेने जाने या मंदिर जाते समय पुलिस जवानों के पीछे-पीछे चलने के कारण वीरांगना परेशान है. वीरांगना के घर का राशन खत्म होने की सूचना पर सांगोद के पूर्व विधायक व बीजेपी नेता हीरालाल नागर शुक्रवार को जरूरत की राशन सामग्री लेकर वीरांगना के घर पहुंचे. हीरालाल नागर ने पुलिस के आला अधिकारियों से वीरांगना के घर के बाहर पुलिस कर्मियों के तैनात करने का कारण पूछा, लेकिन उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला.
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हीरालाल नागर ने बताया कि वीरांगना का छोटा देवर चोटिल हो गया था. वीरांगना अपने बुज़ुर्ग सास-ससुर से भी मिलने अपने पैतृक गांव विनोद कला जाना चाहती थी. दोपहर में वीरांगना को अपनी गाड़ी में बैठाकर गांव के लिए निकले. उस समय 4 बाइक पर 8 लोग पीछे-पीछे आए. हम तीन अलग-अलग गांव में गए. वहां भी बाइक सवार पीछे पीछे आए. हम तीनों जगह बैठकर वापस सांगोद लौटे. बाइक सवार भी हमारे पीछे-पीछे वापस सांगोद आए.
हीरालाल ने कहा कि जब वीरांगना को अपनी कार में बैठाकर कर उनके पैतृक गांव ले जाने लगा, तब पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक लिया और पूछताछ की. लेकिन पुलिसकर्मियों को कुछ नहीं बताया. हीरालाल ने कहा कि देश की वीरांगनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है जैसे वह कोई अपराधी हो. ये निंदनीय है.
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वीरांगना मधुबाला मीणा का कहना है मैं शनिवार को जब झालावाड़ आई मेरे परिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने तो सांगोद से मेरे पीछे कोई नहीं था. उसके बाद बीच रास्ते से पुलिस बिना बत्ती की गाड़ी और सिविल ड्रेस में महिला पुलिस और 4 जवानों के साथ मेरी गाड़ी के पीछे-पीछे झालावाड़ जहां पर मेरा प्रभारी प्रोग्राम था वहां पर पहुंचे और मैं जहां भी जाती हूं पुलिस मेरे पीछे-पीछे जाती है, ऐसा मैंने क्या गुनाह कर दिया. सरकार के लिए जो मुझे इस तरह से परेशान किया जा रहा है. मैं कोई जयपुर थोड़ी जा रही थी. मैं तो मेरे परिवार के कार्यक्रम में शामिल होने झालावाड़ जा रही थी. ऐसे में पुलिस और सरकार मेरे साथ क्या करना चाहती है. मुझे इस तरह से क्यों परेशान किया जा रहा है पुलिस जब मेरे पीछे-पीछे जाती है तो मुझे अच्छा नहीं लगता लोग मेरे बारे में क्या सोचते होंगे.
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