Chaitra Navratri 2023: राजस्थान में ऐसा मंदिर, जहां नवरात्रि के 7 दिन पट रहते हैं बंद, जानें मान्यता

Pramod Tiwari

• 05:43 AM • 22 Mar 2023

Chaitra Navratri 2023: राजस्थान में भीलवाड़ा जिले में एक ऐसा शक्ति पीठ है. जहां नवरात्रि में सात दिनों तक मंदिर के गर्भ गृह दर्शन के लिए बंद रहता है और अष्टमी को पट खुलने पर भक्तों को मातारानी के दर्शन होते हैं. यह शक्ति पीठ है जहाजपुर उपखंड क्षेत्र की प्रमुख शक्तिपीठ घाटा रानी माताजी […]

Rajasthantak
follow google news

Chaitra Navratri 2023: राजस्थान में भीलवाड़ा जिले में एक ऐसा शक्ति पीठ है. जहां नवरात्रि में सात दिनों तक मंदिर के गर्भ गृह दर्शन के लिए बंद रहता है और अष्टमी को पट खुलने पर भक्तों को मातारानी के दर्शन होते हैं. यह शक्ति पीठ है जहाजपुर उपखंड क्षेत्र की प्रमुख शक्तिपीठ घाटा रानी माताजी का. जो जन-जन की आस्था का केंद्र बना हुआ है, यहां पर दोनों नवरात्रा में घट स्थापना होने के पूर्व अमावस्या की संध्या आरती के साथ ही मंदिर के पट बंद हो जाते हैं. भक्तगण बाहर से ही पूजा अर्चना कर सकते हैं. माता के दर्शन नहीं कर पाते हैं. ये पट अष्टमी को मंगला आरती के बाद खुलते हैं. तब फिर से भक्तगण दर्शन कर पाते हैं. घाटा रानी माताजी की ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्तगण सच्चे मन से माता के दरबार में पहुंचता है मां बिना मांगे ही उसकी सारी मुरादें पूरी करती है.

यह भी पढ़ें...

जहाजपुर उपंखड मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर घाटारानी गांव में घाटारानीमाता का प्रसिद्ध मंदिर है. यहां की एक अनोखी परंपरा है. देश में चैत्र शुक्ल एकम को नवरात्रि की शुरूआत से सभी शक्तिपीठ और अन्य देवी मंदिरों में भक्तों को माता के विशेष दर्शन होते हैं लेकिन वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार नवरात्रा में घाटारानी माता के मंदिर के पट बंद हो जाते हैं. जो अष्टमी के दिन सुबह आरती के बाद खुलते हैं, 8 दिन तक पूजा अर्चना निज मंदिर के बाहर से होती है गर्भ गृह के बाहर सात दिनों के लिए पर्दा लगा दिया जाता है. इन दिनों में केवल पुजारी गृभ गृह में प्रवेश कर समय-समय पर माता की पूजा करता है.

यह एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है. जहां दोनों नवरात्रे में हर अमावस्या को संध्या आरती के बाद एकम को घट स्थापना पूर्व मंदिर के पट बंद कर दिये जाते हैं. जबकी नवरात्र में सभी माता के मंदिरो में घट स्थापना के साथ ही 9 दिन तक विशेष श्रृंगार कर पूजा अर्चना की जाती है और दर्शन भी किए जाते हैं लेकिन घाटारानीमाता की अनोखी परंपरा होने की वजह से नवरात्र में 7 दिन तक माता के पट बंद रहते हैं और अष्टमी के दिन पट खुलते हैं.

माता के पट खुलने के साथ ही घाटारानी मंदिर परिसर में मेले का आयोजन किया जाता है. अष्टमी के दिन मेला लगता है.अष्टमी के दिन आसपास के गांव से माता के मंदिर पैदल यात्री जयकार के साथ पहुंचते हैं. घाटा रानी मंदिर के मुख्य पुजारी शक्ति सिंह तंवर ने बताया की नवरात्रि में सात दिन तक पट बंद रखने की परंपरा वर्षों से है. जब से माताजी यहां प्रकट हुई वर्तमान मंदिर का निर्माण 100 साल से अधिक पुराना है.

यह है मान्यता
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि प्राचीन काल में एक ग्वाला जंगलों में गायें चराने जाया करता था. जहां नदीं किनारे गायें पानी पीने के लिए जाती थी. हरे भरे वृक्षों की छाया में दोपहरी में विश्राम करती थी. वहीं कुछ दूरी पर स्थित ऊंची पहाड़ी से एक कन्या आकर गायों का दूध पी जाया करती थी. यह सिलसिला रोजाना रहने लगा. परेशान गायों के मालिकों ने ग्वालें को फटकार लगाते हुए कहा कि हम तुम्हारा मेहनताना काट देंगे. गायों का दूध तो तुम ही निकाल लेते हो. परेशान ग्वाला एक दिन गायों की रखवाली के लिए पहाड़ के पीछे छिपकर बैठ गया, तभी ऊंचे पहाड़ से एक कन्या प्रकट होकर नीचे नदी तट पर विश्राम कर रही गायों का दूध पीने लगी. यह देख ग्वाला कन्या की तरफ दौड़ा.

ग्वाले को अपनी तरफ देख कन्या पहाड़ी की ओर दौड़ी अचानक कन्या भूमि में समाहित होने लगती है. तभी कन्या की सिर की चोटी ग्वाले के हाथों में आ जाती है और कन्या एक पत्थर के रूप में बदल जाती है. इस घटना के बाद से घाटारानी का यह स्थान लोगों की पूजा और आस्था का केन्द्र बन गया. इस क्षेत्र में घाटा ऊँची पहाड़ी को कहा जाता है.

    follow google newsfollow whatsapp