कोचिंग विद्यार्थियों से जिला कलेक्टर ने कहा कि वह मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए वर्ष 2001 में कोटा आए थे. पहले प्रयास में सफल नहीं हुए, निराशा तो हुई लेकिन वापस अपने घर जाकर फिर से तैयारी की. दूसरे प्रयास में अच्छी रैंक से पास हुए और सरकारी कॉलेज से एमबीबीएस करके अस्पताल में नौकरी भी की. फिर आईएएस की तैयारी की और कलेक्टर बन गए. उन्होंने कहा कि मेरे पास हमेशा प्लान B रहता था. प्लान B के साथ क्रीज सेट करें तो कभी आउट नहीं होंगे.
‘मछली को उड़ने को कहें तो यह संभव नहीं’
छात्रों के सवालों के दिए जवाब
सवाल- यहां पढ़ाई के लिए आए हैं खुद को मोटिवेट रखने की कोशिश करते हैं लेकिन पेरेंट्स ही डिमोटिवेट करें तो क्या करें?
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कलेक्टर ने दिया जवाब- कलेक्टर ने कहा कि देखिए पेरेंट्स डिमोटिवेट नहीं करते हैं. वह यह चाहते हैं कि आप अच्छा करो. आपके माता-पिता आपसे तभी प्यार तो नहीं करेंगे, जब आपके नाम के आगे डॉक्टर या इंजीनियर लगेगा. वह चाहते हैं कि आप अच्छा जीवन जिएं. लेकिन अगर कोई रिश्तेदार या दोस्त डिमोटिवेट करते हैं. यह कहते हैं कि हो नहीं पाएगा, कर नहीं सकेगा, तो उनकी बातों को अनसुना करना शुरू कर दो. माता-पिता आपका अच्छा चाहते हैं. आप अच्छा करेंगे तो वह खुश रहेंगे. आप परेशान होंगे तो वह भी परेशान होंगे.
सवाल- हम टेस्ट में जवाब नहीं दे पाते, लेकिन घर जाकर उस सवाल का जवाब आ जाता है. ऐसा क्यों होता है?
कलेक्टर ने दिया जवाब- जिला कलेक्टर ने कहा कि एग्जाम में दिमाग पर बर्डन रहता है, इसलिए यह दिक्कत आती है. आप पुराने पेपर सॉल्व करें, एग्जाम में 3 घंटे बैठना है लेकिन कभी इसकी घर पर प्रेक्टिस नहीं करते. उस सिनेरियो में खुद को रखने की प्रेक्टिस करो तो एग्जाम के समय बर्डन नहीं रहेगा.
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