राजस्थान Tak Exclusive Interview: गद्दार और BJP से मिले होने वाले गहलोत के बयान पर पायलट का पलटवार

शरत कुमार

28 Nov 2022 (अपडेटेड: Nov 28 2022 5:21 AM)

Exclusive Interview Of Sachin Pilot: राजस्थान में आगामी चुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे ने एक बार फिर तूल पकड़ा है. 25 सितंबर को गहलोत गुट के विधायकों का विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करना और फिर एक आयोजन में पीएम मोदी द्वारा सीएम गहलोत की तारीफ ने […]

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Exclusive Interview Of Sachin Pilot: राजस्थान में आगामी चुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे ने एक बार फिर तूल पकड़ा है. 25 सितंबर को गहलोत गुट के विधायकों का विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करना और फिर एक आयोजन में पीएम मोदी द्वारा सीएम गहलोत की तारीफ ने पायलट और गहलोत के बीच सियासी विवाद को फिर सरेआम कर दिया. एक तरफ पायलट ने गुलाम नबी आजाद की तरीफ वाली घटना का जिक्र कर गहलोत को लेकर भी इशारों में सवाल उठाया तो उस वक्त गहलोत ये कहकर चुप रहे कि पार्टी ने बोलने से मना किया है. वहीं अब एक टीवी इंटरव्यू में गहलोत ने पायलट को न केवल गद्दार कहा बल्कि ये भी दावा कि कि उनके बीजेपी से मिले होने के सबूत हैं. Rajasthan Tak से खास बातचीत में सचिन पायलट ने गहलोत के सभी आरोपों पर खुलकर जवाब दिया. पढ़िए इस विशेष साक्षात्कार के संपादित अंश…

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सवाल: सचिन पायलट का राजस्थान की राजनीति में क्या रोल है?
जवाब: पार्टी जो भी रोल मेरे लिए तय करेगी उसे हम निभाएंगे. पहले भी जब राजस्थान में कांग्रेस पार्टी कमजोर हुई थी, हमने यहां कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बीजेपी से संघर्ष किया. बीजेपी सरकार के खिलाफ आंदोलन खड़ा कर निराश कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा किया और सरकार बनी. आज हम सत्ता में हैं. अभी मैं देशभर में कांग्रेस पार्टी के लिए रैलियां और सभाएं कर रहा हूं. देश के किसी भी कोने में पार्टी जहां भी भेजती है मैं जाता हूं. पार्टी के लिए काम करने में पीछे नहीं रहता हूं. जहां तक राजस्थान में मेरी भूमिका की बात है तो वो पार्टी को तय करना है. पार्टी जो भी काम देगी वो हम करेंगे, हमारे लिए पार्टी सबसे पहले है. फिलहाल हम सबका फोकस राहुल गांधी जी की भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाना है.

सवाल: आप कह रहे हैं कि राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं करवा पा रहे हैं, तो आपके पास रिपीट करवाने का क्या फॉर्मूला है?
जवाब: देखिए हमने बीजेपी के कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष किया था और जनता से वसुंधरा सरकार के कुशासन पर कड़ा प्रहार का वादा किया था, लेकिन सरकार में आने के बाद हमने उस दिशा में अब तक क्या किया? कुछ नहीं किया. जनता से किए वादे हमें पूरे करने होंगे. हमने वसुंधरा सरकार के दौरान हुए किसी कारनामे की जांच नहीं की जिनके खिलाफ हमारे साथ जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं ने सड़क पर संघर्ष किया था. ऐसा होता नहीं है. हमें हमारे वादे पूरे करने होते हैं, जिससे जनता के मन में भरोसा पैदा हो. राजस्थान की महिलाओं और दलितों की सुरक्षा का कांग्रेस पार्टी का कमिटमेंट है. उस कमिटमेंट पर हम खरा नहीं उतरेंगे तो सरकार कैसे रिपीट करवा पाएंगे. बेरोजगारों से किया वादा हो या संविदाकर्मियों से किया वादा हो, हम उनकी तकलीफ को कैसे कम कर पाएंगे यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. किसानों की लड़ाई हमने लड़ी,सरकार बनी, राहुल जी ने जो वादे किए थे उन वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी है. उन्होंने बेहतरी का वादा किया था जिस पर गौर करना होगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समय 2003 में 56 सीटें आईं, 2013 में फिर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत CM थे हम 21 सीटों पर सिमट गए थे, इसलिए इस चुनाव में सरकार रिपीट करने के लिए कुछ अलग करना होगा. इसपर हमें जल्द कार्यवाही करनी चाहिए.

सवाल: अशोक गहलोत कह रहे हैं कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं?
जवाब: मेरे लिए मेरी पार्टी सबसे ऊपर है और जनता के बीच रहकर मैं सेवा करना चाहता हूं. पार्टी और संगठन हमारे लिए सर्वोपरि है. पद आते-जाते रहते हैं. हमारी प्राथमिकता एक ही है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार दोबारा कैसे रिपीट करवाएं. पहले भी पार्टी ने जिम्मेदारी दी थी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में तो मेरा एक ही मकसद था कि कांग्रेस सत्ता में कैसे आए. इसलिए कौन क्या कह रहा है इस पर ध्यान देने की बजाए हमारा फोकस पार्टी को मजबूत करने पर है. पहले भी पार्टी ने जो भी जिम्मदारी दी थी वो निभाया है और आगे भी निभाउंगा.

सवाल: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले आपको नकारा कहा, निकम्मा कहा और अब गद्दार. आपको गुस्सा आता है? आता है तो क्या करते हैं?
जवाब: मेरे राजनैतिक जीवन में मेरे धुर विरोधियों और विपक्ष के लोगों ने भी जिनके खिलाफ मैं लड़ा हूं वो इस तरह की भाषा का प्रयोग मेरे लिए नहीं किए हैं. जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसे बुजुर्ग और अनुभवी नेता इस स्तर की भाषा का प्रयोग करते हैं तो गुस्सा तो आता ही है. मैं भी इंसान हूं, कैसे कह दूं कि मुझे गुस्सा नहीं आता है. गुस्सा आता है और जोर का गुस्सा आता है. उनको जवाब देना बहुत आसान काम है, किसी के जुबान पर ताला नहीं लगा हुआ है. मगर मैंने कभी भी इस स्तर की राजनीति नहीं की है. मुझे मेरे माता-पिता से मिला संस्कार रोकता है. मेरी परवरिश ऐसी नहीं हुई कि अपने से किसी बड़े-बुजुर्ग के खिलाफ अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल करूं. पर गुस्से से ज्यादा दुख होता है कि अशोक जी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं. मुझे विश्वास है हमारे नेता श्रीमती सोनिया गांधी, खड़गे जी और राहुल गांधी जी पर, वो पार्टी और राजस्थान के हित में सही समय पर सही कदम उठाएंगे.

सवाल: गहलोत ने आपके ऊपर गंभीर आरोप लगाए हैं. कहा है कि पायलट और बीजेपी में मिलीभगत है?
जवाब: आज बीजेपी के खिलाफ देशभर में पार्टी की तरफ से कैंपेंन के लिए कौन जा रहा है. मेरा अबतक का पूरा राजनैतिक जीवन बीजेपी के खिलाफ लड़ते बीत गया. मैंने अपना हर चुनाव बीजेपी के खिलाफ लड़ा. मैं अभी हाल में ही हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ जमकर कैंपेन करके लौटा हूं. मध्यप्रदेश में बीजेपी ने सरकार गिराई तो कमलनाथ जी की मदद के लिए बीजेपी के खिलाफ मैं खड़ा रहा और हर जगह उपचुनाव में कैंपेन किया. आपको याद होगा, जुलाई 2020 में हम पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया. मैंने सोनिया जी के खिलाफ, राहुल जी के खिलाफ या प्रियंका जी के खिलाफ या कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व या कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ कभी एक शब्द भी नहीं बोला. मेरी शिकायत राजस्थान के नेतृत्व से थी जो हम बदलना चाह रहे थे. यहीं बात हमने हाईकमान को भी बताई थी. उसके बाद हमारी पार्टी हाईकमान के साथ व्यापक सहमति बनी और एक सेटलमेंट हुआ और सरकार में सुधार पर बात हुई. कुछ कदम उठाए भी गए हैं और कुछ प्रोसेस में है. वैसे अफवाहों का बाजार तो अशोक जी और वसुंधरा जी की आपसी गठबंधन की चर्चाओं से गर्म रहता है. हां, कुछ हमारे साथी बीजेपी में चले गए जिसके आधार पर दूसरों के लिए संदेह का बीज बोकर बदनाम करना गलत है. इतिहास गवाह है, मैं बीजेपी से सबसे दमदारी से लड़ने वाला कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता हूं. खड़गे जी और राहुल जी के नेतृत्व में हमारी लड़ाई बीजेपी से जारी रहेगी.

सवाल: अशोक गहलोत और आपकी लड़ाई क्या है?
जवाब: मेरी कोई लड़ाई नहीं है. हमने तो हमेशा इनका सम्मान किया है. आज तक कभी भी मैंने गहलोत जी के लिये गलत भाषा का प्रयोग नहीं किया. हमेशा आदर और शिष्टाचार में कभी कमी नहीं आने दी. किसी से असहमति व्यक्तिगत लड़ाई नहीं होती.

सवाल: वो तो कह रहे हैं कि मैंने पायलट को केंद्र में मंत्री बनाया?
जवाब: केंद्रीय मंत्री पार्टी नेतृत्व बनाता है, मुख्यमंत्री नहीं बनाता है. मैं 2004 में चुनाव जीता था तब मेरे बहुत साथी मंत्री बन गए थे, मैं नहीं बना था. जब बनवा रहे थे तो तब क्यों नहीं बना दिए? मैं दूसरी बार अजमेर से चुनाव जीता तो सोनिया गांधी जी और प्रधानमंत्री ने मुझे मंत्री बनाया.किसी की सिफारिश पर मैं केंद्र में मंत्री नहीं बना था.

सवाल: गद्दार जैसे शब्दों के साथ अचानक हमले की वजह क्या है?
जवाब: वो तो वो जानें मगर किसी को भी इनसिक्योर नहीं फील करना चाहिए. राजनीति में आज मैं हूं कल मेरी जगह कोई और होगा. हममें से किसी को भी यह नहीं मानकर चलना चाहिए कि पार्टी किसी एक व्यक्ति के पीछे चलती है. पुराने लोग जाते हैं, नए लोग आते हैं यह तो किसी भी पार्टी और संगठन के लिए जरूरी होता है. जब 1998 में पार्टी ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया था तो वो विधायक भी नहीं थे. परसराम मदेरणा जी कद्दावर नेता थे. मगर पार्टी ने कुछ सोचा होगा और नए नेतृत्व को आगे बढ़ाया होगा.

सवाल: क्या आपको लगता है कि 25 सितंबर की घटना सुनियोजित थी, गहलोत कह रहे हैं मैं पिक्चर में नही हूं?
जवाब: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायक दल के नेता हैं. अगर उन्होंने अपने घर पर विधायक दल की बैठक बुलाई और विधायक नहीं आए तो क्या इसका मतलब यह है कि वो राजस्थान के विधायकों का विश्वास खो चुके हैं? अगर ऐसा नहीं है तो जिम्मदारी तय होनी चाहिए. मुख्यमंत्री हो या कोई भी हो इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है. मुख्यमंत्री को अगर पता नहीं था तो क्या उन्होंने जिम्मदारों पर कोई कार्रवाई की? कांग्रेस के आज तक के इतिहास में ऐसी घटना नहीं हुई. हमारे वरिष्ठ नेता और प्रभारी पर्यवेक्षक बनकर आए थे. उनको अपमानित किया गया. विधायक दल की बैठक होती, पार्टी की परंपरा का पालन होता, विधायकों या नेताओं के बीच सहमति-असहमति हो सकती है. मगर ये विधायक दल की बैठक में होना चाहिए था. इसलिए 25 सितंबर की घटना गंभीर घटना है.

सवाल: गहलोत कह रहे हैं कि पायलट के पास विधायकों का समर्थन नहीं है, निजी बातचीत में ज्यादातर विधायक कहते हैं चुनाव जीतने के लिए पायलट जरूरी हैं, तो फिर विधायक सामने खुलकर क्यों नहीं आ रहे है?
जवाब: सारे विधायक चाहते हैं कि वो जीतकर आएं और फिर से राज्य में कांग्रेस की सरकार बने. सारे विधायक कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. कोई किसी गुट का नहीं है. यह मीडिया की फैलाई गलतफहमी है. किसी भी नेता को यह गलतफहमी नहीं पाल लेनी चाहिए कि मेरे पीछे ही पार्टी है और मेरे पीछे ही सारे विधायक हैं. सब कांग्रेस हाईकमान के प्रति समर्पित हैं. मेरा कोई गुट नहीं है. मेरा एक ही गुट है कांग्रेस का गुट, हाईकमान का गुट. रही बात संख्या कि तो विधायकों से वन टू वन पूछा जाएगा तभी तो स्थिति स्पष्ट होगी. विधायक दल की बैठक इसीलिए तो बुलाई जा रही थी.

सवाल: क्या राजस्थान में पायलट सत्ता से हटने के बाद नए पायलट के रूप में उभरे हैं? कांग्रेस के लिए भी ऊर्जावान, लोकप्रिय नेता बन गए हैं, ये बदलाव क्यों हुआ है. क्या आपमें भी कोई बदलाव हुआ?
जवाब: खुद अशोक जी ने कहा था की खलक की आवाज को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. मुझे जनता की आवाज सुनाई देती है. मेरी कोशिश रही है कि पार्टी के सत्ता में रहने के बावजूद जनता की आवाज बनूं. महिलाओं और दलितों पर कोई जुल्म हो तो मैं उनके साथ खड़ा रहता हूं. मैं सरकार में रहने के दौरान भी किसी भी कमी के खिलाफ आवाज उठाते रहता था. हमारे लिए जनता सबसे पहले है. पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है और हम सब पार्टी की मजबूती के लिए काम कर रहे हैं, इसीलिये पार्टी कार्यकर्ताओं को उनकी मेहनत और संघर्ष का उचित मान-सम्मान मिलना चाहिए. सत्ता में मैं काफी कम वक्त रहा. मगर जब जनता की आकांक्षाएं हमसे बढ़ती हैं तो हमारी जिम्मदारी और बढ़ जाती है.

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