Assembly elections 2023: प्रदेश में चुनावी साल के आगाज के साथ ही कांग्रेस में गुटबाजी तेज हो गई है. जबकि बीजेपी के फेस वॉर में भी अब कई चेहरे उलझ गए है. हाल ही में रविवार को जन आक्रोश यात्रा के समापन समारोह के मौके पर भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर ने गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश की कमान सौंपने की वकालत कर दी. ठीक उसी दिन उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को धरतीपुत्र बता डाला. आमेर की जनसभा को संबोधित करते हुए राठौड़ ने कहा कि धरती पुत्र भैरोंसिंह शेखावत ने विधायक बनकर यहां की जनता का प्रतिनिधित्व विधानसभा में किया था. उसी तरह धरती पुत्र आपके विधायक सतीश पूनिया आमेर का प्रतिनिधित्व विधानसभा में पहुंच कर आपकी सेवा कर रहे हैं.
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अब सवाल यह उठता है कि भाजपा का असली धरती पुत्र कौन है और पार्टी की कमान किसके हाथ में होगी? हालांकि इसका फैसला भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में होने की संभावना है. आगामी 16-17 जनवरी को दिल्ली में राष्ट्रीय बैठक होगी. जिसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकाल पूरा होने के बाद अध्यक्ष को लेकर भी फैसला हो सकता है. दिलचस्प है कि राष्ट्रीय महामंत्री हो या प्रदेश प्रभारी, पहली बार राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की तरफ से गुटबाजी को हवा दी जा रही है.
प्रदेश प्रभारी और केंद्रीय मंत्री के बयान से भी मचा घमासान
इससे पहले भी पिछले साल 7 नवंबर को बीजेपी राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने आमेर की जनता को भाग्यशाली बताया था. उन्होंने कहा था कि आपका नेता प्रदेश का सबसे बड़ा नेता बनाने जा रहा है. जिसके बाद अगले हफ्ते ही 15 नवंबर को केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने तो यहां तक कह डाला कि उगते सूरज को जल देने की हमारी परंपरा है, तो आइए हम सब मिलकर पूनिया के साथ चलें. जिसके बाद सवाल उठा कि उगता हुआ सूरज पूनिया हैं तो डूबता सूरज कौन होगा?
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