मां की हार का बदला लेकर इस युवा नेत्री ने की थी राजनीति में एंट्री, CM पद की दौड़ में रह चुके हैं इनके दादा

Omprakash Sharma

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Siasi Kisse: कांग्रेस एमएलए दिव्या मदेरणा कभी राहुल गांधी के साथ अपनी तस्वीरों को लेकर चर्चा में रहती हैं तो कभी वह अपनी राजनीतिक बयानबाजी से विरोधियों के निशाने पर रहती हैं. दिव्या मारवाड़ की राजनीति में दिग्गज जाट नेता परसराम मदेरणा की पोती है. उनके पिता महिपाल मदेरणा भी कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं, लेकिन भंवरी देवी हत्याकांड में फंसने के बाद वह जेल चले गए और उनकी राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उनकी पत्नी लीलादेवी को मैदान में उतरना पड़ा.

वर्ष 2013 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार के बाद उनकी रही सही राजनीतिक पकड़ भी ढीली हो गई. उसके बाद मैदान में उतरीं उनकी बेटी दिव्या मदेरणा.

दिव्या ने जब पहला विधानसभा चुनाव लड़ा तो सबसे पहले उन्होंने अपनी मां की हार का बदला लिया. उन्होंने उसी नेता को शिकस्त दी जिसने कभी उनकी मां को हराया था. तो आज हम जानेंगे कि इंग्लैंड से पढ़कर लौटीं दिव्या मदेरणा राजस्थान की जाट राजनीति में कैसे बन गईं इतनी महत्वपूर्ण नेता?

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इंग्लैंड से पढ़ाई कर वापस लौटीं दिव्या ने सबसे पहले 2010 में डिस्ट्रिक्ट काउंसिल जोधपुर का चुनाव लड़कर जीत दर्ज की. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में उनकी मां हार गईं. वर्ष 2018 में दिव्या को इस हार का बदला लेने का मौका मिला. 

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ऐसे लिया था मां की हार का बदला
महिपाल मदेरणा के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी लीला मदेरणा ने कमान संभाली. 2013 में उन्होंने ओसियां से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन अपने प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के भैरा राम चौधरी से 15396 मतों के अंतर से हार गई. हार के बाद उनकी राजनीतिक पकड़ ढीली हो गई. मदेरणा परिवार की राजनीतिक विरासत को अपने हाथों से जाता देख उन्होंने अपनी बेटी दिव्या मदेरणा को 2018 के चुनाव में आगे कर दिया. दिव्या ने अपने पहले ही चुनाव में सबको चौंका दिया. उन्होंने न केवल जीत दर्ज की बल्कि अपनी मां की हार का बदला लेते हुए बीजेपी के भैरा राम चौधरी को करीब 27 हजार वोटों से हरा दिया. यही नहीं, दिव्या मदेरणा को आदर्श युवा विधायक 2021 का सम्मान भी मिल चुका है.

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कभी सीएम पद के प्रबल दावेदार थे दिव्या के दादा परसराम मदेरणा
एक दौर ऐसा था जब राजस्थान की सियासत में मदेरणा परिवार की तूती बोलती थी. दिव्या मदेरणा के दादा परसराम मदेरणा राजस्थान में सीएम पद के प्रबल दावेदार रह चुके हैं. 1998 में राजस्थान में जब जाट आरक्षण आंदोलन चरम पर था तब कांग्रेस ने 200 में से 153 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उस समय जाट राजनीति के वर्चस्व के चलते परसराम मदेरणा मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन अशोक गहलोत की रणनीति के आगे उनकी नहीं चल सकी और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया. दिव्या के पिता महिपाल मदेरणा भी गहलोत सरकार में मंत्री रहे, लेकिन भंवरी देवी हत्याकांड में उनका नाम आने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा.

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कांग्रेस आलाकमान की काफी भरोसेमंद हैं दिव्या
दिव्या मदेरणा राहुल गांधी के साथ अपनी तस्वीरों को लेकर भी अक्सर चर्चा में रहती हैं. राहुल गांधी के भरोसेमंद नेताओं में उनकी गिनती की जाती है. 25 सितंबर 2022 को राजस्थान में सियासी संकट के समय उन्होंने आलाकमान का खुलकर साथ दिया था और अशोक गहलोत सरकार पर लगातार हमला बोलती रहीं. 28 सितंबर 2022 को उन्होंने परसराम मदरेणा के इंटरव्यू के एक बयान को ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं इसलिए नहीं बोल रहा हूं क्योंकि मैं कांग्रेस का अनुशासित सिपाही हूं. उसके बाद दिव्या भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ कदमताल करती नजर आईं. राहुल गांधी के साथ उनकी फोटो पर भी काफी विवाद हुआ था. हाल ही में कश्मीरी लुक में उनकी तस्वीरों ने भी काफी सुर्खियां बटोरीं. देखते ही देखते अब दिव्या कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की लिस्ट में शामिल हो गई हैं.

जाट राजनीति में वर्चस्व बनाना होगी चुनौती
स्वभाव से तेजतर्रार दिव्या अपने दादा और पिता की तरह जाट राजनीति में वर्चस्व बनाना चाहती है, लेकिन जाट राजनीति पर कब्जा करने के लिए हनुमान बेनीवाल भी काफी प्रयास कर रहे है जिससे इन दोनों के बीच प्रतिद्वंदिता शुरू हो गई है. इसलिए हनुमान बेनीवाल के भाषणों में अक्सर दिव्या मदेरणा निशाने पर रहती हैं. 38 साल की दिव्या ने अब तक शादी नहीं की है. दिव्या के अविवाहित होने को लेकर RLP प्रमुख हनुमान बेनीवाल का बयान खासा चर्चा में रहा था. बेनीवाल ने दिव्या के बयानों को लेकर कहा था कि उन्हें शादी कर लेनी चाहिए, क्योंकि शादी कर लेने से दिमाग ठीक रहता है. हालांकि उनके इस बयान पर खूब बवाल मचा था और बाद में हनुमान बेनीवाल को इसपर सफाई भी देनी पड़ी थी.

सोशल मीडिया पर रहती हैं सक्रिय
दिव्या मदेरणा सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहती हैं और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं.दिव्या लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पाली और नागौर लोकसभा सीट पर भी सियासी जमीन तलाश रही हैं. ऐसे में इस बात की भी चर्चा है कि हनुमान बेनीवाल के बढ़ते वर्चस्व से दिव्या सियासत में अपना दमखम मजबूत करना चाहती हैं. शायद यही वजह है कि दिव्या मदेरणा अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर पार्टी के सामने अपनी छवि मजबूत कर रही हैं.

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