गहलोत ही नहीं, ये दिग्गज भी है पायलट की राह में रोड़ा! पहले भी टूटा सीएम बनने का ख्बाव, जानें
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में चुनावी साल का आगाज हो चुका है. पार्टी के भीतर गुटबाजी और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से मिली चुनौतियों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीसरे कार्यकाल का आखिरी बजट भी पेश कर दिया. इन सबके बीच वो सवाल जो 4 साल से कायम है, साल 2023 में भी […]
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Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में चुनावी साल का आगाज हो चुका है. पार्टी के भीतर गुटबाजी और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से मिली चुनौतियों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीसरे कार्यकाल का आखिरी बजट भी पेश कर दिया. इन सबके बीच वो सवाल जो 4 साल से कायम है, साल 2023 में भी अनसुलझा ही रह गया.
जिस सवाल के जवाब का इंतजार में पायलट के समर्थक बैचेन है. वह सवाल है सचिन पायलट की तापोशी का. राजस्थान के सीएम पद के इंतजार में बैठे पायलट को सूबे की ड्राइविंग सीट कब मिलेगी? कयास लगाए जा रहे थे कि 25 सितंबर को पायलट को सीएम बनाने का ऐलान हो जाएगा, लेकिन इन तमाम कोशिशों को गहलोत गुट ने इस्तीफा देकर नाकाम कर दिया.
इस घटना के बाद सीएम गहलोत ये तक कह चुके हैं कि 2023 के चुनाव में उनकी सरकार रिपीट होगी और फिर से वहीं सीएम बनेंगे. अब सवाल पायलट के सियासी भविष्य का है. खास बात यह भी है कि पायलट के लिए सिर्फ गहलोत ही नहीं, बल्कि राजस्थान के कई दिग्गज चुनौती है. वो दिग्गज जिन्होंने पायलट का रथ कदम-कदम पर रोका और संगठन में राष्ट्रीय स्तर की पैठ का इस्तेमाल गहलोत के पक्ष में किया.
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राजनैतिक जानकारों की मानें तो इन 5 नामों में यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी, स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा के साथ पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह और पूर्व सांसद रघुवीर मीणा जैसे दिग्गज भी शामिल है. साल 2020 में पायलट की बगावत के समय भी इन नेताओं ने सियासी समीकरण साधा. जिसके चलते गहलोत सरकार गिरते-गिरते बची थी.
सीएम गहलोत के कट्टर समर्थक माने जाने वाले इन नेताओं ने बखूबी अपनी भूमिका निभाई. अब एक बार फिर गहलोत और पायलट के भविष्य को लेकर फैसले का इंतजार है. इंतजार किया जा रहा है रविवार को रायपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन का, जिसमें माना यह जा रहा है कि राजस्थान को लेकर आलाकमान कुछ फैसला ले सकता है.
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