Rajasthan: क्या इसी वजह से खिलाड़ीलाल बैरवा ने छोड़ दी कांग्रेस? विधायक रोहित बोहरा ने बताया कारण 

Umesh Mishra

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khiladi lal bairwa
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Rajasthan: राजस्थान में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने बीजेपी का दामन थामने के बाद धौलपुर जिले की राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक रोहित बोहरा ने राजस्थान तक से खास बातचीत में बताया कि जिन नेताओ ने कांग्रेस छोड़ी हैं, उस लिस्ट में सिर्फ चार नेता ऐसे हैं. जिनमें पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया, पूर्व मंत्री राजेंद्र यादव, विजयपाल और उनके पिताजी शामिल हैं. इनके कांग्रेस छोड़ने पर पार्टी को नुकसान होगा. विधायक बोहरा ने बताया कि इन चार नेताओ का कांग्रेस पार्टी छोड़ने का कोई पर्सनल रीजन रहा होगा.

पूर्व विधायक खिलाड़ीलाल बैरवा द्वारा कांग्रेस छोड़ने को लेकर विधायक बोहरा ने कहा कि बैरवा कांग्रेस में रह कर क्या करते और विधानसभा चुनाव में निर्दलीय खड़े हुए तो एक हजार 399 वोट मिले. बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र में बैरवा का क्या योगदान हैं और एक सिंगल चीज का उनका योगदान नहीं हैं. बैरवा की बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र के लोग उनसे थक चुके थे.वो तो अच्छा हुआ कांग्रेस से बीजेपी में चले गए और अब बीजेपी वाले समझेंगे कि उन्होंने किस नेता को ले लिया.

पार्टी क्यों छोड़ी?

पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया, पूर्व मंत्री राजेंद्र यादव से पारिवारिक सम्बन्ध को लेकर विधायक बोहरा ने कहा कि हर आदमी अपनी अलग-अलग परिस्थिति होती हैं किसी को ईडी की प्रॉब्लम हो जाती हैं और किसी को कुछ प्रॉब्लम हो जाती हैं. मेरे इन सभी से पारिवारिक और अच्छे सम्बन्ध हैं लेकिन उनकी प्रॉब्लम टीवी पर डिस्कस नहीं करना चाहता हूं, उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी, जब हम लोग बैठेंगे तब अंदुरुनी बात पता चलेगी और कांग्रेस ने उनकी क्या प्रॉब्लम सॉल्व नहीं की. गहलोत सरकार में दोनों मंत्री थे और दोनों ने बहुत अच्छे कार्य किये. दोनों ने अशोक गहलोत के कारण कांग्रेस छोड़ने की बात पब्लिक में नहीं कहा हैं. हर आदमी की अलग-अलग परिस्थिति है और परिस्थिति के कारण आदमी पार्टी छोड़ता हैं, कोई परिस्थिति ऐसी बन गई होगी कि उनको पार्टी छोड़नी पड़ी.

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डिप्टी सीएम बनना चाहते थे बैरवा?

विधायक बोहरा ने खिलाड़ीलाल बैरवा को लेकर कहा कि वो मुश्किल से यहां सांसद बने और कांग्रेस ने उनको विधायक बनाया. इसके बावजूद बैरवा कांग्रेस के खिलाफ ही बोलने लगे और उनका राजनीति में क्या योगदान हैं. बैरवा धौलपुर महीने में एक-दो दिन के लिए आते थे. सर्किट हाउस में रुकते थे और वहीx जनसुनवाई कर चले जाते थे. अगर बैरवा इतने बड़े नेता थे तो निर्दलीय खड़े होने पर उन्हें एक हजार 399 वोट मिले. अगर कोई एमएलए निर्दलीय खड़ा होता हैं और जिसका कोई बजूद होता हैं तो वह कम से कम दस से बीस हजार वोट ले जाता है. विधायक बोहरा ने कहा कि बैरवा की महत्वाकांक्षा थी कि उनको डिप्टी सीएम बना दिया जाये. ऐसा क्या था उनमें कि वह डिप्टी सीएम बन जाते. बीजेपी को धन्यवाद हैं कि बैरवा को उन्होंने ले लिया और वह कांग्रेस को अलविदा कह गए.
 

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