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आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कुछ ही महीनों का समय बचा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी "अबकी बार 400 पार" का नारा दे रही है. दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन के सहारे विपक्ष इस बार मोदी के विजय रथ पर ब्रेक लगाना चाहता है. राजस्थान में भी कांग्रेस गठबंधन के नए साझीदार ढूंढने में लगी है. दक्षिण राजस्थान यानी मेवाड़-वागड़ में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के साथ गठबंधन के कयास लगाए जा रहे हैं. तो वहीं, आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी साथ आने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
आरएलपी और कांग्रेस के साथ आने की स्थिति में नागौर सीट से बेनीवाल साझा उम्मीदवार होंगे. गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में खींवसर से विधायक बनने के बाद हनुमान बेनीवाल ने सांसदी से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन 6 महीने के भीतर फिर से वो लोकसभा में पहुंचने की तैयार कर रहे हैं.
अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी के प्रत्याशी डॉ. ज्योति मिर्धा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है. इस स्थिति में दोनों के बीच तीसरी बार मुकाबला देखने को मिल सकता है. इससे पहले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योति मिर्धा को बेनीवाल के चलते हार झेलनी पड़ी थी.
बेनीवाल हर बार ऐसे बने ज्योति मिर्धा की राह में रोड़ा
हालांकि बतौर निर्दलीय उम्मीदवार साल 2014 में बेनीवाल भी सीट जीत पाने में असफल रहे. लेकिन एक लाख से ज्यादा वोट हासिल करने के साथ ही बेनीवाल ने ज्योति मिर्धा की राह मुश्किल कर दी और बीजेपी के सीआर चौधरी लोकसभा सांसद चुने गए थे. जिसके बाद साल 2019 में एनडीए का हिस्सा रहते हुए आरएलपी सुप्रीमो के सामने मैदान में कांग्रेस की उम्मीदवार ज्योति मिर्धा थी. इस चुनाव में एक बार फिर मिर्धा को हार मिली और बेनीवाल पहली बार संसद पहुंच गए.
जल्द हो सकता है गठबंधन का ऐलान
हनुमान बेनीवाल का कांग्रेस से गठबंधन तय माना जा रहा है. हालांकि गठबंधन की आधिकारिक घोषणा होना बाकी है. फिलहाल बेनीवाल और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली दौरे पर है. चर्चाएं है कि आरएलपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर आज मुहर लग सकती है. बता दें कि दोनों के बीच तीखी बयानबाजी भी देखने को मिल चुकी है.
बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद ज्योति मिर्धा ने बयान दिया था कि यहां के सांसद (हनुमान बेनीवाल) मेरे बीजेपी में शामिल होने के बाद से लगातार मुझ पर बयानबाजी कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि बाबा और उनकी पोती दल-बदलू हैं. ज्योति ने कहा कि मैं यहां साफ कह देना चाहती हूं कि हम दल-बदलू हैं या नहीं, लेकिन सांसद बेनीवाल का पूरा परिवार दल-बदलू है. उन्होंने सांसद के पिता स्व. रामदेव चौधरी का नाम लेकर कहा कि वे सन् 19977 में कांग्रेस आई से जीते, 1980 में कांग्रेस एस से चुनाव हारे और उसके बाद अगला चुनाव लोकदल लड़े. फिर जनता पार्टी से और फिर वह बीजेपी का टिकट लेकर भी आ गए. हालांकि उनका चुनाव से पहले ही निधन हो गया. उन्होंने हर चुनाव अलग-अलग पार्टियों से लड़ा. यही स्थिति नागौर सांसद की है.
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