कांग्रेस में बगावत की पटकथा लिखने वाले गहलोत के इन 3 करीबी नेताओं पर फिर लटकी तलवार! जानें

राजस्थान तक

23 Dec 2022 (अपडेटेड: Dec 23 2022 1:12 PM)

Rajasthan News: भारत जोड़ो यात्रा का पड़ाव राजस्थान में पूरा हो चुका है. प्रदेश सरकार की योजनाओं की राहुल गांधी की ओर से तारीफ किए जाने के बाद सीएम अशोक गहलोत अब इसे मॉडल स्टेट बताने से भी नहीं चूक रहे. कहीं ना कहीं पायलट खेमे पर इसे बढ़त के तौर पर भी देखा गया. […]

Rajasthantak
follow google news

Rajasthan News: भारत जोड़ो यात्रा का पड़ाव राजस्थान में पूरा हो चुका है. प्रदेश सरकार की योजनाओं की राहुल गांधी की ओर से तारीफ किए जाने के बाद सीएम अशोक गहलोत अब इसे मॉडल स्टेट बताने से भी नहीं चूक रहे. कहीं ना कहीं पायलट खेमे पर इसे बढ़त के तौर पर भी देखा गया. हालांकि पूरे महीने के दौरान खास तौर पर गहलोत या पायलट के बीच कोई जुबानी जंग की तस्वीर सामने नहीं आई. लेकिन इस सुखद अंत के बीच एक कहानी बाकी है जिसका अभी पटाक्षेप होना है. वो कहानी है 25 सितंबर की रात गहलोत के खेमे के बगावत की. जिसके सूत्रधार थे मुख्यमंत्री के खास डॉ. महेश जोशी, शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़. जिन्होंने 25 सितंबर को बगावत का बिगुल बजाकर नई पटकथा लिखी थी.

यह भी पढ़ें...

अब इस मामले में फैसला 23 दिसंबर को दिल्ली में होगा. अनुशासनहीनता के मामले में कांग्रेस नेतृत्व इसकी सुनवाई करेगा. भारत जोड़ो यात्रा में जहां इन नेताओं को यात्रा की मेजबानी और सत्कार में भी अहम जिम्मेदारियां दी गई. खबर तो यह भी सामने आई कि इन्हें क्लीन चिट मिल गई है. तभी कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने साफ किया कि अभी किसी भी तरह से क्लीन चिट नहीं दी गई है. ऐसी किसी भी खबर को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि इन नेताओं अनुशासनहीनता का मामला अभी डिस्प्लीनरी कमेटी के पास विचाराधीन है.

अब निगाहें इस बात पर टिक गई हैं कि इस मामले में फैसला क्या होगा? क्योंकि तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने इस मामले में नाराजगी जाहिर करते हुए इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद प्रदेश का जिम्मा सुखजिंदर सिंह रंधावा को सौंपा गया. जिसके बाद भारत जोड़ो यात्रा मे सत्कार समिति में धर्मेंद्र राठौड़ को जिम्मा मिला तो दूसरी ओर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी यात्रा में जमकर थिरके.

यह भी पढ़ेंः गहलोत Vs पायलट का विवाद जहां से शुरू हुआ था ये किस्सा घूमकर वहीं पहुंचा? जानें

अहम इसलिए भी क्योंकि कैबिनेट में सीएम के बाद सबसे ताकतवर महकमा यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के पास ही है. जबकि डॉ. महेश जोशी को सीएम गहलोत के खास नेताओं में गिना जाता है. साथ ही चाणक्य कहे जाने वाले धर्मेंद्र राठौड़ पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आलाकमान का फैसला इन 3 नेताओं के सियासी भविष्य को क्या दिशा देगा? क्योंकि इन नेताओं के साथ सीएम गहलोत की सियासी तस्वीर भी जुड़ी हुई है.

गहलोत खेमे ने की थी बगावत
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के ऐलान के बाद इस पद पर सबसे आगे गहलोत का नाम चल रहा था. बताया जा रहा था कि ये गांधी परिवार की पहली पसंद थे. इधर गहलोत का नाम अनाउंस होते ही राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाओं ने फिर जोर पकड़ लिया और पायलट को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर लोग देखने लगे. इधर गहलोत खेमे ने इसे लेकर बगावत कर दी. जिसका नतीजा ये रहा कि 25 सितंबर को बुलाई गई विधायक दल की बैठक का गहलोत गुट के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया.
केवल बैठक का ही बहिष्कार नहीं किया बल्कि कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा. इसके साथ शर्तें भी रख दी कि सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने. दूसरी शर्त ये थी कि सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए. तीसरी शर्त भी रखी कि जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही होना चाहिए.

आलाकमान से बगावत कर बुलाई थी दूसरी बैठक
इस बैठक के लिए पार्टी ने राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा. इधर, गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत बुलंद कर दी और बैठक से पहले अपनी अलग मीटिंग की. मंत्री शांति धारीवाल के घर पर विधायक जुटे. इस बैठक के बाद गहलोत खेमे के विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचे और करीब 80 से ज्यादा विधायकों ने पायलट के सीएम बनाए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया. जिसके बाद पार्टी की अनुशासन समिति ने गहलोत के तीनों करीबियों को कारण बताओ नोटिस भेजा.

यह भी पढ़ेंः गहलोत Vs पायलट पॉलिटिकल ड्रामा की इनसाइड स्टोरी

    follow google newsfollow whatsapp