शशि थरूर की यात्रा पर जताई थी आपत्ति, अब पायलट को आलाकमान की हरी झंडी? जानें
Rajasthan Assembly election 2023: राजस्थान में चुनावी अभियान की झलक सभाओं और सड़कों पर नजर आने लगी है. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट किसान सम्मेलन में जमकर बरस रहे हैं. किसानों को साधने के साथ पेपर लीक के मामले पर भी पायलट ने जमकर वार किया. युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने अपनी दोनों सभाओं […]
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Rajasthan Assembly election 2023: राजस्थान में चुनावी अभियान की झलक सभाओं और सड़कों पर नजर आने लगी है. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट किसान सम्मेलन में जमकर बरस रहे हैं. किसानों को साधने के साथ पेपर लीक के मामले पर भी पायलट ने जमकर वार किया. युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने अपनी दोनों सभाओं में गहलोत सरकार पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए.
इन सबके बीच पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा कह रहे हैं कि पायलट के कार्यक्रम संगठन से जुड़े नहीं है. तो फिर सवाल यह उठता है कि क्या आलाकमान को पायलट की हरी झंडी है? क्योंकि प्रदेश नेतृत्व से अलग जब इसी तरह केरल में शशि थरूर ने यात्राएं की तो बवाल मच गया.
दरअसल, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पिछले महीने केरल की यात्राएं की तो कांग्रेस के नेताओं ने विरोध जताया. थरूर भी साल 2026 में होने वाले चुनाव में खुद को सीएम दावेदार के तौर पर देख रहे हैं. जिसे लेकर उन्होंने बयान भी दिया. जिसके चलते केरल कांग्रेस में गुटबाजी तेज हो गई. केरल से ताल्लुक रखने वाले और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी इशारों-इशारों में टिप्पणी कर दी. उन्होंने कहा था कि पार्टी नेताओं को अनावश्यक बहस से बचना चाहिए. हर चीज पर पार्टी के भीतर चर्चा होनी चाहिए.
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अब सवाल यह है कि केरल के मामले में पार्टी के भीतर चर्चा करने की सलाह देने वाले वेणुगोपाल की इस मामले में क्या राय होगी? क्योंकि इससे पहले जब 25 सितंबर 2022 को गहलोत गुट के विधायकों ने इस्तीफे दिए तो बयानबाजी का दौर भी तेज हो गया. जिस पर रोक लगाने के लिए वेणुगोपाल को एडवाइजरी जारी करनी पड़ी. हालांकि उसके बावजूद बयानबाजी का दौर जारी रहा तो फिर थरूर पर बोलने वाले वेणुगोपाल की पायलट की सभाओं पर चुप्पी के मायने क्या हैं? क्या वेणुगोपाल की तरफ से पायलट को हरी झंडी है?
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चुनावी रण का आगाज या पायलट की ताजपोशी के लिए आखिरी दांव:
जिस तरह से किसान सम्मेलन में पायलट और उनके समर्थक विधायकों के तेवर दिखे तो उससे तो सवाल यह भी उठता है कि यह अगले चुनाव की तैयारी है या बचे हुए 10 महीने के भीतर ताजपोशी के आखिरी दांव. क्योकि बार-बार पायलट भी कह चुके हैं कि समय कम बचा है और जो फैसला करना है वो नेतृत्व को करना है. इस पूरे किसान सम्मेलन में चुनावी रण का आगाज कम, सरकार का विरोध ज्यादा नजर आया. मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और एससी आयोग अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा ने तो पायलट को सीएम बनाने की आवाज फिर से बुलंद दी. जाहिर इस सभा के जरिए पायलट अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं.
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गौरतलब है कि बुधवार को पायलट ने कहा कि अगर बार-बार पेपर लीक हो रहे हैं तो इसकी जवाबदेही तय करनी होगी. पेपर लीक में कोई नेता, कोई अधिकारी शामिल नहीं है. फिर तिजोरी में बंद कागज छात्रों तक कैसे पहुंच गए हैं? यह जादूगरी है. दूसरी ओर, परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला ने भी पायलट के संघर्ष को गिनाया. उन्होंने कहा कि जब 2013 में कांग्रेस की हार हुई तो कहा जाने लगा था कि अब 25 साल तक भूल जाओ. कांग्रेस की सरकार नहीं आने वाली है. सचिन पायलट ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद हर जिले में ग्राउंड तक जाकर लोगों को जोड़ा. सारे राजस्थान में कोई क्षेत्र ऐसा नहीं था, जिसमें पायलट नहीं गए हों.
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