निर्मला सीतारमण के जवाब के बाद गहलोत की बढ़ जाएगी चिंता! सीएम की इस मांग को ठुकराया, जानें

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20 Feb 2023 (अपडेटेड: Feb 20 2023 1:42 PM)

Rajasthan News: राजस्थान सरकार की ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के फैसले को केंद्र सरकार ने बड़ा झटका दे दिया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनपीएस का पैसा राज्य सरकारों को देने से साफ इनकार करते हुए कहा कि यह असंभव है. न्यू पेंशन स्कीम्स का केंद्र के ट्रस्ट में जमा 45 हजार […]

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Rajasthan News: राजस्थान सरकार की ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के फैसले को केंद्र सरकार ने बड़ा झटका दे दिया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनपीएस का पैसा राज्य सरकारों को देने से साफ इनकार करते हुए कहा कि यह असंभव है. न्यू पेंशन स्कीम्स का केंद्र के ट्रस्ट में जमा 45 हजार करोड़ रुपए सरकार को नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि कोई राज्य यह अपेक्षा करता है कि एनपीएस का फंड इकट्ठा दे देना चाहिए तो ऐसा नहीं होने वाला.

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वित्त मंत्री ने कहा कि वह कर्मचारी का पैसा है, ब्याज कमा रहा है, वह पैसा रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के हाथ में आएगा. इकठ्ठा पैसा राज्य सरकार के हाथ नहीं आएगा. यह स्पष्टता रहनी चाहिए. जयपुर में निर्मला सीतारमण ने बजट चर्चा के दौरान यह बात कही. 

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सीतारमण ने कहा कि राज्य को टैक्स और अपने संसाधन से फंड जुटाना चाहिए और उसके तहत भुगतान करिए, लेकिन ऐसा नहीं होगा कि वादा आपका हो और बोझ किसी और को दे रहे हो. ब्याज दर के सवाल पर उन्होंने कहा कि ब्याज दर कम होने से बुजुर्गों और मिडिल क्लास की रकम पर मिलने वाला ब्याज भी घट गया है. पिछले कुछ वर्षों से यह हमने यह आंकलन भी किया. ऐसे में ब्याज दर बढ़ने से मिडिल क्लास भी फायदा होगा.

ओपीएस के चलते भविष्य की सरकारों पर पड़ेगा बोझ
वहीं, ओपीएस के सवाल पर केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथ ने क​हा कि न्यू पेंशन स्कीम में सरकार पर कोई बोझ नहीं है. क्योंकि जो कर्मचारी का पैसा जमा हो रहा है, उसी से उन्हे पेंशन दी जाएगी. लेकिन ओपीएस लागू करते ही यह बोझ वर्तमान सरकार की बजाय भविष्य की सरकारों पर आ जाएगा. ओपीएस लागू करने के बाद राज्य एनपीएस फंड का पैसा वापस मांग रहे हैं. वह पैसा राज्य सरकारों को वापस नहीं दिया जा सकता, सरकारों को वो पैसा वापस नहीं मिलेगा.

पहले की नीतियों के चलते बिजली कंपनियां कर्जें में डूबी
सीतारमण ने कहा कि पहले की सरकारों के वादों के चलते बिजली कंपनियां कर्ज से दब गई. बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों ने डिस्कॉम से बकाया मांगा और डिस्कॉम के पास पैसा नहीं था. अब ऐसे में अगर एक घंटे की भी बिजली में देरी हो गई होती तो मोदी सरकार पर आरोप लगेगा कि मोदीजी गरीबों को बिजली नहीं दे रहे. इस विषय को चर्चा में डालना चाहिए. लोगों को इसकी जानकारी देनी चाहिए.

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