सुसाइड हब में तब्दील हो रही कोचिंग नगरी, कोटा में पिछले 4 सालों के दौरान 52 छात्रों ने की आत्महत्या

Jai Kishan

ADVERTISEMENT

Rajasthantak
social share
google news

Kota Suicide: कोचिंग नगरी कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या ने सरकार की चिंता बढ़ा रखी है. पिछले 3 साल के भीतर ही यह आंकड़ा 50 को पार कर चुका है. राज्य विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2019 से दिसंबर 2022 के बीच 52 छात्रों ने सुसाइड किया है.

आत्महत्या करने वाले छात्रों में सबसे ज्यादा बिहार के 4 छात्र है. साल 2022 में कोटा में 16 छात्रों ने आत्महत्या की, हालांकि सदन में यह आंकड़ा 13 बताया गया है. चिंता की बात यह है कि दिसंबर में महज 10 दिन के अंदर 4 आत्महत्याएं हो गईं. बीतें साल 12 दिसंबर को 12 घंटे के भीतर ही 3 बच्चों ने आत्महत्या कर ली.

सरकार ने इन आत्महत्याओं के पीछे अलग-अलग कारण बताए हैं. सरकार ने स्वीकार किया कि आत्महत्या का कारण कोचिंग टेस्ट, प्रेम संबंध, ब्लैकमेलिंग और माता-पिता की महत्वाकांक्षाओं के चलते बच्चों पर पड़ने वाला दवाब भी है.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

आत्महत्या के पीछे सरकार इसे मानती है वजह
वहीं, सरकार इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए इसी सत्र में राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं नियमन-2023) विधेयक लाने की तैयारी में है. कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि मैं अपने युवा साथियों से कहना चाहता हूं कि आत्महत्या से कोई उद्देश्य हल नहीं होता. उन्होंने कहा कि हम छात्रों के साथ हैं. अगर उन्हें कोई समस्या है तो उन्हें हमारे पास आना चाहिए. हम उनके दोस्त हैं और किसी भी समय उनकी मदद के लिए तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि कोचिंग माफियाओं पर नकेल कसने के लिए भी हम सख्त दिशा-निर्देश लेकर आए हैं और जल्द ही हम एक अधिनियम लाएंगे. गौरतलब है कि कोटा में मेडिकल-इंजीनियरिंग सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में देश भर से दो लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं आते हैं. एक कोचिंग की सालाना फीस 2 से 3 लाख रुपए है.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ेंः कांग्रेस में ड्राइविंग सीट पर पायलट! चुनावी साल में पूर्व डिप्टी सीएम के ताबड़तोड़ दौरे, देखें वीडियो

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT