सीएम भजनलाल शर्मा के गृह जिले में महज 52 फीसदी मतदान, बीजेपी के लिए खतरे की घंटी!

Suresh Foujdar

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लोकसभा चुनाव के पहले चरण के दौरान राजस्थान की भरतपुर (Bharatpur) लोकसभा सीट पर भी वोटिंग हुई. बीजेपी (BJP) प्रत्याशी रामस्वरूप कोली और कांग्रेस (Congress) से संजय जाटव के बीच इस सीट पर मुकाबला है. 19 अप्रैल को यहां महज 52 फीसदी ही मतदान हुआ. साल 2019 के चुनाव के मुकाबले यह आंकड़ा 6 फीसदी कम है. इतनी कम वोटिंग ने अब चिंता भी बढ़ा दी है. हर उम्मीदवार और उनके समर्थक अपने ढ़ंग से आंकलन कर रहे हैं.

इधर, पोलिंग प्रतिशत कम रहने की कई वजह सामने आई है. राजनैतिक जानकारों की मानें तो इस बार बीजेपी कार्यकर्ताओं ने खास रूचि नहीं दिखाई और ना ही वे लोगों को बूथ तक ले जाने में सफल रहे. चौंकाने वाली बात यह है कि बीजेपी विधायक भी इस मामले में पीछे ही रहे.

 

 

गुटबाजी पड़ गई भारी!

सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने तो क्षेत्र में मेहनत की और ना ही कुछ खास कार्यक्रम. इसके पीछे एक वजह पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी भी है. एक गुट तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के समर्थकों का था और एक दूसरा गुट इनके विरोधी का. इसी के चलते पार्टी स्थानीय स्तर पर दो धड़ों में बंटी दिखाई दी. 

मतदान में जाट समाज रहा आगे!

दूसरी तरफ, कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस में भी रहा. पार्टी के कार्यकर्ताओं के नदारद रहने से वोटिंग कम रही. हालांकि अनुसूचित जाति के मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर मतदान किया. ब्राह्मण और वैश्य जैसी जातियां मतदान के मामले में पीछे रही. जबकि जाट समाज ने बढ़-चढ़कर वोटिंग की, जिसे आरक्षण को लेकर बीजेपी के खिलाफ ऑपरेशन गंगाजल से जोड़कर देखा जा रहा है. इसके अलावा लोग विवाह में भी व्यस्त रहे. 

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