राजस्थान की हाई प्रोफाइल जयपुर लोकसभा सीट पर बड़ा विवाद खड़ा होने के चलते सुनील शर्मा का टिकट बदल दिया गया. 'जयपुर डायलॉग्स' यूट्यूब चैनल को लेकर उपजे विवाद के बाद कांग्रेस को उनका टिकट बदलना पड़ा. यहां से अब गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को मौका दिया गया है. इस टिकट के जाने के बाद पूर्व प्रत्याशी सुनील शर्मा का दर्द भी छलक उठा. उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा कि पार्टी ने इस मामले में मेरा डिफेंड नहीं किया. खास बात यह है कि दर्द सिर्फ सुनील शर्मा नहीं, बल्कि खाचरियावास को भी हैं. जिसे उन्होंने नामांकन भरते समय जाहिर भी कर दिया.
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पहले चरण के लोकसभा चुनाव के नामांकन की आखिरी दिन जयपुर शहर से कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी पर्चा दाखिल किया. नॉमिनेशन फाइल करने के बाद राजस्थान तक से खास बातचीत करते हुए प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि विधानसभा चुनाव के हार का दर्द अभी तक नहीं गया.
"परिवार का सदस्य घायल, युद्ध शुरू हो गया"
उन्होंने कहा कि फिर दर्द के बीच में उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा है. क्योंकि परिवार का सदस्य घायल है और युद्ध शुरू हो गया है तो अब लड़ना ही पड़ेगा. इसलिए चुनौती बड़ी है लेकिन फिर भी लड़के बीजेपी को मजबूर कर दूंगा. खाचरियावास ने बीजेपी प्रत्याशी मंजू शर्मा को लेकर कहा कि मंजू शर्मा उनकी बड़ी बहन है और वह एक अच्छी उम्मीदवार भी है.
आगे उन्होंने कहा कि मुझे लड़ते हुए लोगों ने देखा, लेकिन अब जो स्थिति है उसमें उन्हें लोगों के साथ की जरूरत हैं. इस दौरान उन्होंंने मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के नाईट वॉच मैन वाले बयान को लेकर उन्होंने कहा कि वह शूटर अच्छे हैं, लेकिन उन्हें अभी जनता के बीच जाना चाहिए. वह अभी मंत्री हैं, लेकिन एक ट्रांसफर नहीं करवा सकते है क्योंकि अधिकारियों की चलती है तो मंत्री बैठे रहेंगे.
मुश्किल है खाचरियावास की डगर!
खाचरियावास के लिए लोकसभा चुनाव की डगर मुश्किल भी है. मुश्किल इसलिए क्यों कि कांग्रेस को शहर लोकसभा सीट की 8 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 2 सीटों किशनपोल और आदर्श नगर पर ही जीत हासिल हुई. हवामहल सीट को छोड़कर 5 सीटों पर कांग्रेस को बड़े अंतर से हार झेलनी पड़ी. हवामहल पर कड़ी टक्कर के चलते कांग्रेस के उम्मीदवार आरआर तिवारी बीजेपी के प्रत्याशी बालमुकुंद आचार्य से महज 900 वोटों से हार गए. ऐसे में 3 महीने बाद एक बार फिर कांग्रेस की तरफ से खाचरियावास मैदान में हैं, जिन पर इस नुकसान की भरपाई करने की जिम्मेदारी हैं.
वहीं, चुनावी इतिहास की बात करें तो भी जयपुर लोकसभा सीट पर राजपूत उम्मीदवार कभी नहीं रहा. चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी, दोनों पार्टियां ही ब्राम्हण और वैश्य चेहरों पर दांव खेलती आई है. जहां 17 में से 10 बार यहां से ब्राह्मण और तीन बार वैश्य सांसद बने हैं. राजपूत, वैश्य और ब्राह्मण जातियों की संख्या करीब-करीब बराबर है. वहीं करीब 14 प्रतिशत मुस्लिम वोटर भी हैं. जो काफी अहम किरदार अदा करते हैं.
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