गोवा से 20 गुना बड़ा है बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र, प्रचार में नेताओं के छूटे पसीने

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राजस्थान में लोकसभा चुनाव (loksabha election 2024) के लिए 26 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान होगा. इससे पहले प्रदेश में जिस लोकसभा सीट की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो है बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट. इसकी वजह है कि यहां से रविंद्र सिंह भाटी (ravindra singh bhati) निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए हैं. उन्होंने बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय विधानसभा चुनाव भी जीता था. उनका युवाओं के बीच जबरदस्त क्रेज है जिसके चलते पूरे देश की नजरें उन पर हैं. अब वो इस सीट पर बीजेपी के कैलाश चौधरी (kailash chaudhary) और कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल (ummedaram beniwal) को चुनौती दे रहे हैं.

बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र देश का दूसरा और प्रदेश का पहला सबसे बड़ा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र है. इसका क्षेत्रफल 71,601 वर्ग किमी है. भारत के तीसरे और पांचवें सबसे बड़े जिले जैसलमेर और बाड़मेर, दोनों इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आते हैं. इस हिसाब से यह लोकसभा क्षेत्र भारत के गोवा (3700 वर्ग किमी.) राज्य से करीब 20 गुना बड़ा है.

 

 

प्रचार करने में नेताओं के छूटे पसीने

बाड़मेर-जैसलमेर जैसे इतने बड़े संसदीय क्षेत्र में नेताओं के लिए प्रचार करना मुश्किल हो गया है. पूरे लोकसभा क्षेत्र को कवर करने और लगातार रैलियों के चलते नेताओं के पसीने छूट गए हैं. इसलिए निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी और बीजेपी के कैलाश चौधरी समेत बाकी नेताओं को भी यह कहना पड़ रहा है कि बाड़मेर-जैसलमेर जैसे बड़े लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ना कोई आसान काम नहीं है. यह क्षेत्र इतना बड़ा है कि इसके एक छोर से दूसरे छोर को कवर करने में सुबह से शाम हो जाती है. 

ऐसा है इस सीट का जातीय समीकरण

बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर कुल मतदाता करीब 22 लाख 5 हजार हैं. इनमें सबसे ज्यादा ओबीसी के करीब 7 लाख, जाट समाज के करीब 4 लाख 50 और राजपूतों के 3 लाख मतदाता हैं. वहीं इस सीट पर अल्पसंख्यक समाज के करीब 2.80 लाख वोट हैं.

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रविंद्र सिंह भाटी ने बीजेपी-कांग्रेस की उड़ाई नींद!

बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से निर्दलीय ताल ठोक रहे रविंद्र सिंह भाटी की रैलियों में जुट रही भीड़ ने बीजेपी-कांग्रेस की नींद उड़ाकर रख दी है. 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले रविंद्र सिंह भाटी भाजपा में शामिल हुए थे और बीजेपी से टिकट की मांग कर रहे थे. लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता भी. अब निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान करके उन्होंने बीजेपी के कैलाश चौधरी और कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल की टेंशन बढ़ा दी है.

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